शोपियां मुठभेड़:- दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले में मंगलवार को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच हुई भीषण मुठभेड़ में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकवादी मारे गए। इनमें संगठन का शीर्ष कमांडर शाहिद कुट्टे भी शामिल था। सुरक्षाबलों को ऑपरेशन के दौरान भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिला है, जिसमें एके-47 राइफलें, मैगजीन, ग्रेनेड और अन्य सामग्री शामिल हैं

जंगल में घेरा, फिर मुठभेड़
मुठभेड़ की शुरुआत मंगलवार सुबह शोपियां के केलर इलाके के शुकरू वन क्षेत्र में उस समय हुई जब सुरक्षाबलों को आतंकियों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली। सूचना मिलते ही पुलिस की स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG), सेना की 20 राष्ट्रीय राइफल्स और सीआरपीएफ ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान शुरू किया।

जैसे ही सुरक्षा घेरा कसता गया, छिपे आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षाबलों ने तीनों आतंकियों को मार गिराया। घटनास्थल से बरामद हथियारों से स्पष्ट है कि आतंकी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे।

शाहिद कुट्टे: ए-कैटेगरी आतंकी और लश्कर का स्थानीय चेहरा
मारे गए आतंकियों में सबसे अहम नाम शाहिद कुट्टे का है, जो शोपियां के ही चोटीपोरा हीरपोरा गांव का निवासी था। मार्च 2023 में लश्कर में शामिल होने वाला कुट्टे, जल्द ही संगठन का अहम चेहरा बन गया था। वह कई आतंकी हमलों में शामिल था, जिनमें अप्रैल 2024 में अनंतनाग के दानिश रिसॉर्ट पर हमला शामिल है, जिसमें दो विदेशी पर्यटक और एक स्थानीय ड्राइवर घायल हुए थे। इसके अलावा, भाजपा के एक सरपंच की हत्या और एक टेरिटोरियल आर्मी के जवान की मौत में भी उसका नाम जुड़ा हुआ है।

अन्य आतंकियों की पहचान भी हुई
इस ऑपरेशन में मारा गया दूसरा आतंकी अदनान शफी, वंडुना मेलहोरा (शोपियां) का रहने वाला था और अक्टूबर 2024 से सक्रिय था। वह सी-कैटेगरी का आतंकी था और स्थानीय मजदूर की हत्या में उसका हाथ था।
तीसरे आतंकी की पहचान पुलवामा जिले के मुरन निवासी अहसान उल हक शेक के रूप में हुई है। वह भी पिछले साल से लश्कर के लिए सक्रिय था।

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पहलगाम हमले के बाद बड़े स्तर पर कार्रवाई
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए पर्यटकों पर हमले के बाद से घाटी में सुरक्षाबलों ने आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया था। इसमें आतंकियों के ठिकानों और उनके मददगारों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की गई। शोपियां के इस ताजा ऑपरेशन को उसी कड़ी की एक बड़ी सफलता माना जा रहा है।

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निष्कर्ष
शोपियां में हुई इस कार्रवाई से स्पष्ट है कि सुरक्षाबल किसी भी आतंकी साजिश को नाकाम करने के लिए पूरी तरह सतर्क हैं। मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की पहचान और उनके आपराधिक रिकॉर्ड इस बात को साबित करते हैं कि वे घाटी में अमन-शांति को नुकसान पहुंचाने की मंशा से सक्रिय थे। समय रहते की गई कार्रवाई से एक बड़ी त्रासदी टल गई है।