राहुल गांधी के आरोपों पर विदेश मंत्रालय का जवाब:- विदेश मंत्री एस. जयशंकर के एक बयान को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।

राहुल गांधी ने दावा किया था कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की शुरुआत से पहले भारत ने पाकिस्तान को सूचित किया, जिसे उन्होंने ‘अपराध’ करार दिया। इस पर विदेश मंत्रालय ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए राहुल के बयान को “तथ्यों का पूरी तरह से गलत प्रस्तुतीकरण” बताया है।
विदेश मंत्रालय के एक्सटर्नल पब्लिक डिप्लोमेसी डिवीजन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जयशंकर के शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर के प्रारंभिक चरण में ही पाकिस्तान को चेतावनी दी गई थी, न कि उससे पहले।
क्या कहा था विदेश मंत्री ने?
दिल्ली में होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के मौके पर मीडिया से बात करते हुए एस. जयशंकर ने बताया था, “हमने आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया, सेना को नहीं। ऑपरेशन की शुरुआत में ही पाकिस्तान को यह संदेश दिया गया था कि हमारी कार्रवाई आतंकी ठिकानों के खिलाफ है, और यदि सेना हस्तक्षेप नहीं करती, तो उसे नुकसान नहीं होगा।”
जयशंकर के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस चेतावनी को नजरअंदाज किया, जिसके गंभीर परिणाम उन्हें 10 मई की सुबह भुगतने पड़े। उन्होंने कहा कि सैटेलाइट इमेज से यह स्पष्ट होता है कि ऑपरेशन में पाकिस्तान को बड़ा नुकसान हुआ, जबकि भारत को न्यूनतम हानि पहुंची।
राहुल गांधी ने लगाए थे गंभीर सवाल
राहुल गांधी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए सवाल उठाया, “हमले की शुरुआत में पाकिस्तान को सूचित करना किसकी मंजूरी से हुआ? क्या इस वजह से हमने अपने लड़ाकू विमान खोए?” उन्होंने इसे “अपराध” करार देते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
मंत्रालय ने क्या जवाब दिया?
विदेश मंत्रालय ने राहुल गांधी के बयान को गुमराह करने वाला बताया। मंत्रालय के अनुसार, राहुल गांधी की टिप्पणी एक राजनीतिक हमला है जो राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मुद्दों पर भ्रम फैलाने की कोशिश करती है। मंत्रालय ने यह भी दोहराया कि जयशंकर ने जो कहा, वह ऑपरेशन के दौरान लिए गए रणनीतिक निर्णयों से जुड़ा था, न कि पूर्व-आगाही से।
राजनीतिक माहौल गरमाया
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच विदेश नीति को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। जहां राहुल गांधी सरकार की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं केंद्र का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।