Tariff Talks:- भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति, कृषि और ऑटो सेक्टर पर जारी है बातचीत भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते पर वार्ता के एक अहम दौर के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल वाशिंगटन से स्वदेश लौट आया है। इस बातचीत में कई मुद्दों पर सहमति बनी है, लेकिन कृषि और ऑटोमोबाइल सेक्टर से जुड़े कुछ प्रमुख विषयों पर चर्चा अभी जारी है।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल ने किया। यह टीम 26 जून से 2 जुलाई तक अमेरिका में थी, जहां अंतरिम व्यापार समझौते पर केंद्रित वार्ता हुई। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “बातचीत अब अंतिम चरण में है और इसके निष्कर्ष की घोषणा 9 जुलाई से पहले होने की संभावना है।”

भारत इस प्रस्तावित समझौते के तहत श्रम-प्रधान क्षेत्रों जैसे टेक्सटाइल, जेम्स और ज्वेलरी, चमड़ा, रेडीमेड गारमेंट्स, प्लास्टिक, केमिकल्स, समुद्री उत्पाद, तिलहन, अंगूर और केले पर शुल्क में राहत चाहता है। वहीं अमेरिका ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोकेमिकल्स, और जेनेटिकली मोडिफाइड फसलें जैसे उत्पादों पर आयात शुल्क में छूट चाहता है।

इस वार्ता का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल को लगाए गए 26% अतिरिक्त पारस्परिक शुल्क को अस्थायी रूप से 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया था, जो 9 जुलाई को समाप्त हो रहा है। भारत चाहता है कि इस अतिरिक्त शुल्क से उसे पूर्ण छूट दी जाए। फिलहाल अमेरिका का 10% बेसलाइन शुल्क अब भी लागू है।

भारत अब तक अपने किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी क्षेत्र को नहीं खोला है, और इस बार भी उसने इस क्षेत्र पर सख्त रुख अपनाया है, क्योंकि यह राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। इसी तरह, अमेरिकी कृषि और डेयरी उत्पादों पर भी भारत ने सतर्कता बरती है।

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वार्ता के अगले चरण में दोनों देश सितंबर-अक्टूबर 2025 तक प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Bilateral Trade Agreement – BTA) के पहले चरण को अंतिम रूप देने की उम्मीद कर रहे हैं। इस समझौते का उद्देश्य 2030 तक मौजूदा 191 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाना है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष की शुरुआती दो महीनों—अप्रैल और मई—के दौरान अमेरिका को भारतीय वस्तुओं का निर्यात 21.78% की तेज़ वृद्धि के साथ बढ़कर 17.25 अरब डॉलर तक पहुँच गया। इसी अवधि में अमेरिका से भारत में आयात 25.8% की छलांग लगाकर 8.87 अरब डॉलर हो गया।