मणिपुर संविदा शिक्षकों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी:- मणिपुर में संविदा शिक्षकों की पेन-डाउन हड़ताल तीसरे दिन भी जारी रही है जिससे राज्य के सरकारी उच्च माध्यमिक स्कूलों की शैक्षणिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। करीब 600 से अधिक संविदा शिक्षक नियमित नियुक्ति और लंबित वेतन की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं। आईये तीसरे दिन की हड़ताल के बारे में विस्तार से जाने

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आपको बतादे लेक्चरर्स एसोसिएशन मणिपुर (2018 बैच) के नेतृत्व में यह हड़ताल सोमवार से शुरू हुई है और छह दिनों तक चलने की घोषणा की गई है। प्रदर्शनकारी शिक्षकों का आरोप है कि जनवरी 2022 में राज्य कैबिनेट द्वारा किए गए नियमितीकरण के फैसले को अभी तक लागू नहीं किया गया है, जबकि अप्रैल 2023 से उनके वेतन का भुगतान भी नहीं हुआ है।

काम किया, लेकिन वेतन नहीं मिला”: शिक्षकों की नाराजगी

हड़ताल में शामिल व्याख्याता एस. अनीता ने बताया, हमने न केवल नियमित शिक्षण कार्य किया, बल्कि निर्वाचन जैसी सरकारी जिम्मेदारियों को भी निभाया है। इसके बावजूद हमें आज तक नियमित वेतन नहीं मिला। कई स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह से बंद है, लेकिन हमारे पास अब हड़ताल के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। बस एक यही विकल्प है जिससे हमारी मांग पूरी होगी

उन्होंने कहा कि शिक्षकों की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है और सरकार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द नियमितीकरण की प्रक्रिया पूरी कर वेतन भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

छात्रों ने भी जताया समर्थन

शिक्षकों की मांगों के समर्थन में अब छात्र भी खुलकर सामने आ रहे हैं। जॉनस्टोन हायर सेकेंडरी स्कूल और सीसी हायर सेकेंडरी स्कूल सहित कई स्कूलों के विद्यार्थियों ने स्कूल गेट के बाहर प्रदर्शन किया और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।

एक छात्र ने बताया, हम अपनी पढ़ाई से समझौता नहीं करना चाहते, लेकिन जब हमारे शिक्षक परेशान हैं, तो हम कैसे कक्षा में ध्यान केंद्रित कर सकते हैं? हम सरकार से अपील करते हैं कि वह इस मुद्दे का तत्काल समाधान निकाले।

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प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

राज्य सरकार की ओर से अब तक इस मसले पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे शिक्षकों और छात्रों दोनों में असंतोष बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे को लेकर आंतरिक चर्चा जरूर हुई है, लेकिन सार्वजनिक स्तर पर कोई ठोस कदम सामने नहीं आया है।

शिक्षा व्यवस्था पर संकट

मणिपुर पहले से ही कानून व्यवस्था और शांति बहाली से जुड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है, ऐसे में शिक्षा व्यवस्था पर यह नया संकट चिंता का विषय बन गया है। यदि सरकार समय रहते इस मुद्दे का समाधान नहीं करती, तो यह हड़ताल प्रदेश भर की शैक्षणिक प्रगति को और प्रभावित कर सकती है।