Union Budget 2026:- हर साल 1 फरवरी को जब वित्त मंत्री संसद में आम बजट पेश करते हैं, तो देशभर की निगाहें उसी ओर टिकी होती हैं। यह दिन आम जनता, उद्योगों, निवेशकों और अर्थशास्त्रियों के लिए बेहद अहम होता है, क्योंकि इसमें सरकार की नीतियों, टैक्स ढांचे और आने वाले साल की आर्थिक दिशा का खाका पेश किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इतना बड़ा और विस्तृत दस्तावेज़ महज कुछ दिनों में कैसे तैयार हो सकता है? असल में, बजट की तैयारी महीनों पहले शुरू हो जाती है। Union Budget 2026 के लिए भी इसकी शुरुआत इसी साल अक्टूबर से हो रही है।

बजट की तैयारी अक्टूबर से क्यों शुरू होती है?
बजट केवल आंकड़ों का जोड़-घटाव नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की आर्थिक नीति और प्राथमिकताओं का दस्तावेज़ है। इसे बनाने में सैकड़ों मंत्रालयों, विभागों और सरकारी एजेंसियों की भागीदारी होती है।
- समय की मांग
मंत्रालयों और विभागों को अपने-अपने खर्च और आय का आकलन तैयार करने में लंबा समय लगता है। अगर ये प्रक्रिया अक्टूबर में शुरू न हो, तो जनवरी तक पूरा बजट तैयार करना संभव ही नहीं होगा। - फंड की प्राथमिकताएं तय करना
सरकार को यह सुनिश्चित करना होता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में कितना खर्च किया जाएगा। अक्टूबर से शुरुआत करके मंत्रालयों के प्रस्तावों का अध्ययन किया जाता है और उनकी प्राथमिकताओं का मिलान सरकार की नीतियों से किया जाता है। - राजस्व और घाटे का संतुलन
टैक्स से होने वाली कमाई और सरकार के खर्च के बीच संतुलन बैठाना बजट का सबसे अहम हिस्सा है। अक्टूबर से शुरुआत होने पर वित्त मंत्रालय को पर्याप्त समय मिल जाता है कि वह फिस्कल डेफिसिट, राजस्व घाटा और पूंजीगत व्यय का सटीक अनुमान लगा सके।
बजट की तैयारी के चरण
- मंत्रालयों और विभागों से प्रस्ताव
- हर मंत्रालय को अपनी योजनाओं और परियोजनाओं के लिए धन की आवश्यकता का अनुमान बताना होता है।
- ये आंकड़े Union Budget Information System (UBIS) पोर्टल के ज़रिए वित्त मंत्रालय को भेजे जाते हैं।
- बजट पूर्व बैठकें (Pre-Budget Meetings)
- अक्टूबर से लेकर नवंबर तक मंत्रालयों और वित्त सचिवालय के बीच बैठकों का सिलसिला चलता है।
- इसमें तय किया जाता है कि किस क्षेत्र को कितना आवंटन दिया जाए।
- राजस्व और व्यय का विश्लेषण
- कर संग्रह, जीएसटी, कस्टम ड्यूटी और गैर-कर राजस्व का आकलन किया जाता है।
- इसी आधार पर यह तय होता है कि सरकार के पास खर्च के लिए कुल कितना धन उपलब्ध होगा।
- ड्राफ्ट बजट और समीक्षा
- दिसंबर तक बजट का ड्राफ्ट तैयार होता है।
- जनवरी में वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री स्तर पर इसकी अंतिम समीक्षा होती है।
- संसद में प्रस्तुति
- अंततः फरवरी की पहली तारीख को बजट संसद में पेश किया जाता है।
इतिहास से सीख
भारत में बजट की तैयारी की यह परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। पहले बजट फरवरी के आखिरी दिन पेश किया जाता था, लेकिन 2017 से इसे आगे बढ़ाकर 1 फरवरी कर दिया गया ताकि वित्तीय वर्ष (अप्रैल से मार्च) शुरू होने से पहले योजनाओं को लागू करने का समय मिल सके। इसका सीधा मतलब है कि तैयारी और भी पहले, यानी अक्टूबर से शुरू करनी पड़ती है।
जनता के लिए इसका महत्व
- टैक्सदाताओं के लिए: उन्हें पता चलता है कि आने वाले साल में टैक्स स्लैब्स में कोई राहत मिलेगी या नहीं।
- व्यापार और उद्योग जगत के लिए: निवेश, उत्पादन और रोजगार से जुड़ी योजनाओं को पहले से समझने का अवसर मिलता है।
- आम जनता के लिए: स्वास्थ्य, शिक्षा और सब्सिडी जैसी योजनाओं के लाभ का अंदाजा पहले से हो जाता है।
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निष्कर्ष
Union Budget 2026 की तैयारी अक्टूबर से शुरू होना केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह एक सोची-समझी रणनीति है ताकि देश की अर्थव्यवस्था को सही दिशा दी जा सके। यह महीनों लंबी प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि बजट केवल कागज़ी घोषणा न बनकर जनता के जीवन में वास्तविक बदलाव ला सके।
यही वजह है कि बजट की शुरुआत अक्टूबर से होती है — ताकि फरवरी तक देश के सामने एक सटीक, संतुलित और व्यावहारिक आर्थिक रोडमैप रखा जा सके।