नेपाल के बाद अब फ्रांस में हिंसा:- नेपाल में हिंसा की लपटें थमी भी नहीं थीं कि अब फ्रांस की राजधानी पेरिस भी अशांति की चपेट में आ गई है। शनिवार देर रात बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए और जगह-जगह आगजनी की। हालात बिगड़ते देख पुलिस ने सख्ती बरतते हुए 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।

पुलिस-प्रदर्शनकारियों में झड़प
पेरिस के कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच तीखी झड़पें हुईं। प्रदर्शनकारियों ने सड़कें जाम कर दीं और कई वाहनों व इमारतों को आग के हवाले कर दिया। हालात काबू से बाहर होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को तितर-बितर करने की कोशिश की।
छावनी में तब्दील राजधानी
फ्रांस के आंतरिक मंत्री ब्रूनो रिटेलेउ ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने राजधानी को ठप करने का आह्वान किया था, लेकिन पुलिस की तैनाती और त्वरित कार्रवाई से उनकी योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई। पेरिस में करीब 80,000 सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। कई इलाकों में भारी बैरिकेडिंग की गई और हिंसक तत्वों को मौके पर ही गिरफ्तार किया गया।

बस में आगजनी, बिजली गुल और रेल रोकी गई
प्रदर्शनकारियों ने पश्चिमी फ्रांस के शहर रेन में एक बस को आग के हवाले कर दिया। आगजनी की वजह से आसपास के इलाके की बिजली सप्लाई बाधित हो गई और रेल यातायात भी ठप पड़ गया। प्रशासन का कहना है कि यह आंदोलन एक सुनियोजित विद्रोह का हिस्सा लगता है।

क्या है विरोध की वजह?
हिंसा से पहले सोशल मीडिया पर ‘ब्लॉक एव्रीथिंग’ नामक अभियान चलाया गया, जिसने युवाओं को सड़कों पर उतरने के लिए उकसाया। इसकी पृष्ठभूमि फ्रांस के प्रधानमंत्री गेब्रियल अत्ताल के इस्तीफे और नए बजट प्रस्ताव से जुड़ी बताई जा रही है। पूर्व प्रधानमंत्री ने बजट में 44 अरब यूरो यानी लगभग 4 लाख करोड़ रुपये की बचत का प्लान पेश किया था, जिसका तीखा विरोध हुआ और अंततः उन्हें पद छोड़ना पड़ा। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रक्षा मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जिसके बाद से असंतोष और बढ़ गया है।
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हिंसा की पुरानी कड़ियां
यह पहली बार नहीं है जब फ्रांस इस तरह की आगजनी और अशांति का सामना कर रहा है। 2022 में पेंशन सुधारों को लेकर देशभर में उग्र प्रदर्शन हुए थे। 2023 में भी पुलिस की गोली से एक युवक की मौत के बाद पेरिस की सड़कों पर हिंसा भड़क उठी थी।