SIR विवाद पर गरमाया बिहार:- पटना से एक बड़ी खबर सामने आ रही है चुनाव को लेकर दरसल बिहार की राजनीति में उस समय हलचल मच गई जब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने विशेष मतदाता पुनरीक्षण (Special Summary Revision – SSR या SIR) प्रक्रिया को लेकर चुनाव बहिष्कार का संकेत दे दिया। तेजस्वी का आरोप है कि SIR के तहत राज्य में लाखों वैध मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं। विपक्ष इस प्रक्रिया को ‘चुनावी रणनीति’ करार दे रहा है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और एनडीए इसे महज ‘राजनीतिक नाटक’ बता रहे हैं।

तेजस्वी का ऐलान: हमारी बात नहीं सुनी गई तो करेंगे बहिष्कार पर विचार
आपको बतादे की तेजस्वी यादव ने चेताया कि यदि चुनाव आयोग मतदाता सूची में की जा रही कार्रवाई पर पुनर्विचार नहीं करता, तो महागठबंधन चुनावों से दूरी बना सकता है। उन्होंने कहा कि यदि वोटरों के मन में यह डर बैठ गया कि उनका नाम सूची से हटाया जा रहा है, तो चुनावी गणित पूरी तरह बदल जाएगा—जैसा कि 2024 लोकसभा चुनाव में ‘संविधान बदलने’ के मुद्दे ने किया था।
विपक्ष का आरोप: लाखों वैध मतदाता बाहर, सत्ता पक्ष को फायदा पहुंचाने की कोशिश
कांग्रेस और राजद का दावा है कि SIR के बहाने हर विधानसभा क्षेत्र से करीब 20-25 हजार वोट हटाने की योजना है, जिससे विपक्ष को नुकसान और सत्ताधारी दल को बढ़त मिलेगी। कांग्रेस नेता शाश्वत केदार पांडेय ने कहा कि हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में भी गड़बड़ियों के उदाहरण सामने आए हैं और यदि ऐसी स्थिति बिहार में भी बनती है, तो विपक्ष के पास बहिष्कार के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा।
चुनाव आयोग की सफाई: हटाए जा रहे हैं सिर्फ मृत और माइग्रेटेड वोटर
विवाद के बीच चुनाव आयोग ने 24 जुलाई को आंकड़े जारी करते हुए स्पष्ट किया कि SIR प्रक्रिया के तहत 99% मतदाताओं तक पहुंचा गया है। आयोग के अनुसार, करीब 21.6 लाख मतदाता मृत घोषित हुए हैं, जबकि 31.5 लाख अन्य राज्य या शहरों में स्थायी रूप से बस चुके हैं। इसके अतिरिक्त, लगभग 7 लाख मतदाताओं के नाम दो स्थानों की सूची में पाए गए हैं।
चुनाव आयोग का तर्क है कि डुप्लीकेट और अनुपलब्ध वोटरों को हटाना एक नियमित और आवश्यक प्रक्रिया है, जिसे राजनीति का मुद्दा बनाना ठीक नहीं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय: यह दबाव की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह कदम चुनाव आयोग और केंद्र पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। भारत जैसे बहुदलीय लोकतंत्र में किसी एक दल के बहिष्कार का व्यापक असर नहीं पड़ता, लेकिन यह जरूर हो सकता है कि इससे जनता के बीच असंतोष फैलाया जाए और सत्ता पक्ष की साख पर चोट की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि राजद चुनाव से हटता है, तो महागठबंधन के सहयोगी दल अलग राह पकड़ सकते हैं, जिससे VIP और बसपा जैसे दलों को राजनीतिक मौके मिल सकते हैं।
भाजपा का पलटवार: आधारहीन है विपक्ष का विरोध
बीजेपी प्रवक्ता अनिरुद्ध प्रताप सिंह ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मतदाता सूची अपडेट करना एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें सभी दलों के बीएलए (Booth Level Agents) और बीएलओ (Booth Level Officers) शामिल होते हैं। उन्होंने दावा किया कि अब तक किसी विपक्षी कार्यकर्ता ने अनियमितता की शिकायत नहीं की है।
बीजेपी का मानना है कि तेजस्वी यादव अपनी संभावित हार की आशंका से बचने के लिए बहानेबाजी कर रहे हैं और SIR का मुद्दा सनसनी फैलाने के उद्देश्य से उठाया गया है
बिहार जैसे बड़े राज्य में किसी प्रमुख विपक्षी गठबंधन द्वारा चुनाव बहिष्कार का संकेत एक असाधारण स्थिति है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजस्वी यादव और महागठबंधन इसे सिर्फ दबाव की रणनीति तक सीमित रखते हैं या वाकई इसे जमीन पर उतारते हैं। अगर ऐसा हुआ, तो 2025 विधानसभा चुनाव का परिदृश्य पूरी तरह से बदल सकता है।