संभल में फिर शुरू हुई बुलडोजर कार्रवाई:- एक बड़ी खबर सामने आ रही है आपको बतादे संभल के रायसत्ती थाना क्षेत्र के हातिम सराय में प्रशासन ने तालाब की जमीन पर बने 80 मकानों को अवैध घोषित कर कार्रवाई शुरू कर दी है। इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों और प्रशासन के बीच विवाद खड़ा हो गया है। कुछ निवासियों का दावा है कि जिन जमीनों पर मकान बने हैं, वह उनकी पुश्तैनी निजी संपत्ति है और प्रशासन ने तहसील रिकॉर्ड की जांच किए बिना कार्रवाई शुरू कर दी।

पूर्वी वार्ष्णेय, जो सरायतरीन निवासी हैं, का कहना है कि यह जमीन उनकी दादी राम सुनीति देवी की थी। उन्होंने बताया कि उनकी दादी ने 2009 के बाद यह जमीन लोगों को बेची थी। इस संपत्ति का राजस्व रिकॉर्ड तहसील में दर्ज है और इसे लेकर कोई सरकारी दावा नहीं है।
तहसीलदार धीरेंद्र सिंह के अनुसार, यह आठ बीघा सरकारी तालाब की जमीन है, जिस पर अवैध तरीके से मकान बनाए गए हैं। प्रशासन ने पहले नोटिस जारी कर 15 दिन का समय दिया था, इसके बाद बुधवार को 40 मकानों पर ध्वस्तीकरण के लिए लाल निशान लगाए गए।
हालांकि, मकान मालिकों का कहना है कि प्रशासन की कार्रवाई में बड़ी चूक हुई है। पूर्वी वार्ष्णेय ने बताया कि उनकी दादी के नाम कुल 12 बीघा जमीन थी, जिसमें से कुछ हिस्सों को लोग तालाब के रूप में बदल चुके थे। जमीन बिक चुकी थी और यह पूरी तरह निजी संपत्ति है।
इस विवाद के बीच कई परिवार उच्च न्यायालय पहुंचे और याचिकाएं दायर की गई हैं। मकान मालिकों ने बैनामे की कॉपियां अदालत में पेश की हैं और उनका कहना है कि प्रशासन की टीम ने मौके पर दस्तावेजों की जांच तक नहीं की।
पूर्वी वार्ष्णेय ने बताया, “हमने अपनी पूरी जिंदगी की मेहनत से 10 साल पहले मकान बनाए। प्रशासन ने बिना किसी जांच के लाल निशान लगा दिए। हमने जमीन खरीदी है और कब्जा करने का कोई मामला नहीं है।”
दरअसल, इस जमीन को लेकर पहले भी विवाद हो चुका है। 14 सितंबर 2009 को एडीएम कोर्ट ने राम सुनीति देवी की निजी संपत्ति होने का आदेश दिया था। आदेश में स्पष्ट किया गया कि यह जमीन सरकार या स्थानीय निकाय की नहीं है, और निजी संपत्ति पर पीपी एक्ट लागू नहीं होता।
यह भी पड़े:- जीटीबी अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर पर बड़ा आरोप, एमबीबीएस छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में
डीएम संभल, डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने कहा कि निजी जमीन होने का मामला उनके संज्ञान में आया है। उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाकर बातचीत करने और समस्या का समाधान निकालने का आश्वासन दिया।
सपा विधायक इकबाल महमूद ने भी प्रशासन से अपील की कि बिना उचित जांच के किसी के मकान को नहीं हटाया जाए। उन्होंने कहा कि भूमि लंबे समय से निजी है और इसे लेकर राजस्व अभिलेख भी मौजूद हैं। उनका कहना है कि कार्रवाई केवल जांच-पड़ताल के बाद ही होनी चाहिए।
इस विवाद के चलते इलाके में चिंता का माहौल है। मकान मालिकों की नजर अब उच्च न्यायालय पर टिकी हुई है, और प्रशासन को भी मामला निष्पक्ष और संवेदनशील तरीके से हल करने की चुनौती मिली है।