उत्तरकाशी में बादल फटा:- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में शनिवार को बादल फटने से भारी तबाही मची। नौगांव बाजार के स्योरी फल पट्टी और आसपास के क्षेत्रों में अचानक नाला उफान पर आ गया, जिससे कई घरों और दुकानों में पानी भर गया। स्थिति बिगड़ने पर लोगों ने अपने घर खाली कर सुरक्षित स्थानों पर शरण ली।

देवलसारी गदेरे में एक मिक्सचर मशीन और कई दोपहिया वाहन बह गए, जबकि एक कार मलबे में दब गई। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है।

एक माह पहले भी मचा था हाहाकार

पिछले महीने 5 अगस्त को भी उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने की घटना हुई थी। उस समय खीरगंगा क्षेत्र में आई बाढ़ ने चार लोगों की जान ले ली थी और भारी तबाही मचाई थी। और कई घर व होटल क्षतिग्रस्त हो गए थे।

अतिवृष्टि से बिगड़े हालात

स्थानीय लोगों के मुताबिक नौगांव से गुजरने वाला नाला पहले से ही अतिवृष्टि के कारण उफान पर था। इसी वजह से दुकानों और घरों में तेजी से पानी भर गया और सड़क पर खड़े वाहन बह गए।

भूकंप और भूस्खलन का खतरा बढ़ा

इसी बीच आईआईटी रुड़की के आपदा प्रबंधन और मानवीय सहायता उत्कृष्टता केंद्र ने एक चिंताजनक रिपोर्ट जारी की है। इसमें बताया गया है कि उत्तराखंड के चार पर्वतीय जिले—रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी—भूकंप से प्रेरित भूस्खलन के लिए अत्यधिक संवेदनशील हैं।

विशेषज्ञों अक्षत वशिष्ठ, शिवानी जोशी और श्रीकृष्ण सिवा सुब्रमण्यम के मुताबिक, हिमालयी क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से बेहद सक्रिय है और यहां भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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पहली बार जिला-स्तर पर जोनिंग

अध्ययन में पहली बार जिला-स्तर पर भूकंप से होने वाले भूस्खलनों के जोखिम का आकलन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग सभी परिदृश्यों में सबसे अधिक संवेदनशील है, जबकि पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिलों में भी भारी खतरे की आशंका जताई गई है।