सिंधु जल संधि पर भारत सख्त:- ऑपरेशन सिंदूर’ और सिंधु जल संधि को स्थगित करने के भारत के निर्णय से पाकिस्तान बुरी तरह हिल गया है। जल संकट की आशंका से घबराकर पाकिस्तान ने भारत से इस फैसले पर पुनर्विचार की अपील की है। पाकिस्तानी जल संसाधन मंत्रालय ने भारत को पत्र लिखकर संधि बहाल करने की गुहार लगाई है।

पाकिस्तान का कहना है कि यदि भारत ने संधि को फिर से लागू नहीं किया, तो देश को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा। हालांकि सूत्रों के अनुसार, भारत ने पाकिस्तान की इस अपील पर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दिया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए साफ कहा था, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।” उनका यह बयान भारत के कड़े रुख को दर्शाता है — जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता रहेगा, तब तक न बातचीत संभव है और न व्यापार या जल सहयोग।

भारत सरकार ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए थे, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि भारत यह संधि तब तक लागू नहीं करेगा जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को पूरी तरह समाप्त नहीं करता।

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भारत अब सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों के जल को अपने विकास कार्यों के लिए प्रयोग में लाने की योजनाओं पर तेजी से काम कर रहा है। अल्पकालिक, मध्यकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार कर कार्यान्वयन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

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गौरतलब है कि 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाक समर्थित आतंकियों ने 26 भारतीय सैलानियों की निर्मम हत्या कर दी थी। इसके बाद भारत ने त्वरित प्रतिक्रिया देते हुए सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था।

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई यह संधि विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसके तहत छह नदियों — सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज — का जल वितरण तय किया गया था।