कश्मीर हमले के बाद पाकिस्तान में मची खलबली
भारत-पाकिस्तान तनाव:- भारत और पाकिस्तान के रिश्ते एक बार फिर से तनावपूर्ण हो गए हैं। हाल ही में कश्मीर के पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव ने पाकिस्तान में खलबली मचा दी है।

भारत ने आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई का अभियान शुरू किया है, भारत ने त आतंकियों को तलाश करने मैं जुटी हुई है और वही दूसरी तरफ पाकिस्तान ने इस घटना मैं अपना हाथ न होने की बात भी कही है जिससे पाकिस्तान में चिंता का माहौल बन गया है। वहीं, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने चेतावनी दी है कि भारत कभी भी हमला कर सकता है, और इसीलिए उनकी सेना को पूरी तरह से तेनात रखा गया है।
पाकिस्तान में बढ़ी चिंता
रॉयटर्स से बात करते हुए पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने कहा, भारत की कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान पूरी तरह से सावधान है। पहलगाम हमले के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। इस स्थिति में हमें अपनी सेना को पूरी तरह से मजबूत और तैयार रखना जरूरी हो गया था। उनका यह बयान दर्शाता है कि पाकिस्तान किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
सेना को मजबूत किया गया है
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि उनकी सरकार ने सेना को मजबूत किया है, और यह कदम इस वक्त की जरूरत के तहत उठाया गया है। उन्होंने कहा, “हमने कुछ रणनीतिक निर्णय लिए हैं, जो कि अभी चल रही स्थिति को देखते हुए आवश्यक थे।” इससे साफ है कि पाकिस्तान अपनी सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से गंभीर है और किसी भी संभावित हमले से बचने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर रहा है।
परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल अस्तित्व संकट में
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपनी परमाणु शक्ति का इस्तेमाल तभी करेगा जब उसके अस्तित्व को सीधे खतरा होगा। अगर पाकिस्सतान के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं हुआ तो वो परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं करेगा बयान से यह भी स्पष्ट हुआ कि पाकिस्तान, भारत से किसी भी सैन्य टकराव की स्थिति में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के बारे में गंभीर रूप से सोचने को तैयार है। यह बयान तनाव और भय को और बढ़ाने वाला है, खासकर जब दोनों देश परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र हैं।
चीन और रूस से मदद की मांग
पाकिस्तान ने पहलगाम हमले की जांच के दौरान चीन और रूस को शामिल किए जाने की मांग भी की थी, ताकि एक निष्पक्ष जांच की जा सके। यह पाकिस्तान का एक और कदम था, जिससे वह इस मामले में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहता था और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन हासिल करना चाहता था।
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समाप्ति पर
भारत और पाकिस्तान के बीच यह बढ़ता हुआ तनाव न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंता का विषय बन चुका है। जब दोनों देशो के पास न्युक्लर शक्तिया हो तो ऐसी स्थिति में किसी भी छोटे से घटनाक्रम का भी बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग का रास्ता अपनाया जाए ताकि ऐसी स्थितियों से बचा जा सके और क्षेत्रीय शांति बनी रहे।
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क्या होगा अगले कदम?
अब यह देखना होगा कि दोनों देशों के नेता इस तनावपूर्ण स्थिति को किस तरह से संभालते हैं और क्या यह समय के साथ शांत होता है या बढ़ता है। फिलहाल, पाकिस्तान अपनी सेना को तैयार रखने के साथ-साथ भारत की हर गतिविधि पर बारीकी से नजर रखे हुए है।