भारत का नया डिजिटल प्राइवेसी कानून:- एक महत्वपूर्ण खबर आप को बतादे ग्राहकों से हर जगह मोबाइल नंबर मांगने की आदत पर अब रोक लग सकती है। सरकार द्वारा पारित डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 (DPDP Act) के तहत ऐसे प्रावधान किए गए हैं

जिनमें दुकानों, रिटेलर्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को ग्राहकों से सिर्फ आवश्यक जानकारी ही लेने की अनुमति होगी। इसका मतलब यह है कि जल्द ही ग्राहकों को हर खरीदारी पर मोबाइल नंबर देने की मजबूरी से छुटकारा मिल सकता है।
क्यों जरूरी था यह कदम?
पिछले कुछ वर्षों में शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट, सुपरमार्केट और ऑनलाइन ऐप्स पर ग्राहकों से मोबाइल नंबर मांगे जाना एक आम प्रथा बन गया था। अक्सर इस डेटा का इस्तेमाल मार्केटिंग कॉल्स, प्रमोशनल मैसेज और थर्ड पार्टी शेयरिंग में किया जाता था। बढ़ती शिकायतों और डेटा चोरी की घटनाओं को देखते हुए सरकार ने इसे नियंत्रित करने का फैसला लिया।
कानून के मुख्य बिंदु
- कंपनियां और रिटेलर्स अब केवल वही जानकारी मांग सकेंगे जो उनकी सेवा देने के लिए आवश्यक है।
- ग्राहक की सहमति के बिना मोबाइल नंबर या पर्सनल डेटा सेव नहीं किया जा सकेगा।
- डेटा सुरक्षित रखने की पूरी जिम्मेदारी कंपनियों की होगी।
- नियमों का उल्लंघन करने पर सख्त दंड और भारी जुर्माने का प्रावधान रहेगा।
आम लोगों पर असर
इस बदलाव से ग्राहकों को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उन्हें हर जगह मोबाइल नंबर देने की मजबूरी से छुटकारा मिलेगा। चाहे वह किराना स्टोर हो या कैफ़े का बिलिंग काउंटर, अब ग्राहक बिना अनावश्यक डिटेल साझा किए सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे। इससे उनकी प्राइवेसी और डेटा सिक्योरिटी दोनों मजबूत होंगी।
कंपनियों पर असर
रिटेल और ई-कॉमर्स कंपनियों को अब अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी बदलनी होगी। पहले जहां प्रमोशनल कैंपेन मुख्यतः मोबाइल नंबर आधारित होते थे, वहीं अब कंपनियों को ईमेल मार्केटिंग, लॉयल्टी प्रोग्राम्स और ऐप नोटिफिकेशन पर ध्यान देना होगा।
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विशेषज्ञों की राय
आईटी विशेषज्ञों का मानना है कि यह कानून शुरुआत में व्यवसायों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन लंबे समय में इससे ग्राहक का भरोसा बढ़ेगा। जब ग्राहक महसूस करेंगे कि उनकी प्राइवेसी सुरक्षित है, तो वे डिजिटल सेवाओं का और अधिक उपयोग करेंगे।
भारत का नया डिजिटल प्राइवेसी कानून आने वाले समय में डिजिटल इंडिया के लिए एक बड़ा बदलाव साबित हो सकता है। हालांकि इसके सभी नियम अभी लागू होने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन साफ है कि भविष्य में ग्राहकों को बिना सहमति मोबाइल नंबर देने की मजबूरी नहीं रहेगी। यह कदम न केवल उपभोक्ताओं की सुरक्षा को मजबूत करेगा बल्कि व्यवसायों के लिए भी पारदर्शिता और भरोसे का नया युग लेकर आएगा।