ईरान की चेतावनी:- इजरायल और ईरान के बीच लगातार बढ़ता तनाव अब वैश्विक चिंता का विषय बन गया है। हालात ऐसे बन गए हैं कि अब एक बड़े संघर्ष की आशंका जताई जा रही है। इस बीच भारत में ईरान के दूतावास ने इजरायल पर आम नागरिकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है और साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि यदि इस टकराव में कोई तीसरा देश शामिल हुआ, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।

ईरान की ओर से आया कड़ा संदेश
भारत में ईरानी दूतावास के उप प्रमुख मोहम्मद जावेद हुसैनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट किया कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। उन्होंने कहा,
“हम किसी प्रकार के युद्ध के पक्षधर नहीं हैं, लेकिन अगर देश की संप्रभुता और नागरिकों की सुरक्षा पर सवाल उठे, तो हमें आत्मरक्षा का अधिकार है और हम उसका प्रयोग कर रहे हैं।”
हुसैनी ने जोर देकर कहा कि अभी तक ऐसा कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है जो दर्शाए कि ईरान परमाणु हथियार विकसित कर रहा है। इसके बावजूद इजरायल ने हमले का रास्ता अपनाया है।
“तीसरा देश जुड़ा तो परिणाम गंभीर होंगे”
बढ़ते तनाव के बीच अमेरिका के संभावित हस्तक्षेप की अटकलें भी तेज़ हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हुसैनी ने कहा,
“अगर इस संघर्ष में कोई तीसरा देश कूदता है, तो हालात और अधिक भयावह हो सकते हैं। ईरान अभी भी बातचीत के लिए तैयार है, लेकिन किसी के दबाव में समझौता नहीं करेगा।”

भारत के साथ सहयोग और भारतीयों की वापसी
भारत की भूमिका को लेकर भी ईरान ने सकारात्मक रुख दिखाया है। हुसैनी ने कहा कि भारत ने हमेशा ईरान की भावनाओं को समझा है और मानवीय मूल्यों का सम्मान किया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इजरायल-ईरान संघर्ष के बीच फंसे भारतीयों की सुरक्षित वापसी के लिए ईरान भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है।
मशहद शहर में फिलहाल लगभग 1000 भारतीय नागरिकों को एकत्र किया गया है, जिन्हें तीन विशेष विमानों के ज़रिए भारत भेजा जा रहा है। इन फ्लाइट्स में से पहली फ्लाइट आज रात 11:15 बजे भारत पहुंचेगी।
“भारत से उम्मीद है कि वह न्याय के साथ खड़ा होगा”
हुसैनी ने भारत से यह उम्मीद जताई कि वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों और मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इजरायल के हमलों की सार्वजनिक रूप से निंदा करेगा।
“ईरान को इस हमले में अपने कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों की जान गंवानी पड़ी है। हम उम्मीद करते हैं कि भारत न्याय के साथ खड़ा होगा।”
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इजरायल का ऑपरेशन ‘राइजिंग लॉयन’
उल्लेखनीय है कि 13 जून को इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाते हुए ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ की शुरुआत की थी। इस ऑपरेशन में कई वैज्ञानिकों की जान गई, जिनमें ईरान के इस्लामिक आज़ाद विश्वविद्यालय के प्रमुख डॉ. मोहम्मद मेहदी तेहरानची और परमाणु ऊर्जा संगठन के वरिष्ठ वैज्ञानिक फेरेयदून अब्बासी-दवानी भी शामिल थे।
निष्कर्ष
जैसे-जैसे यह संघर्ष गहराता जा रहा है, पूरी दुनिया एक आशंका में जी रही है कि कहीं यह टकराव किसी और बड़े युद्ध में न बदल जाए। भारत की ओर से अब तक संयम दिखाया गया है, लेकिन आने वाले दिनों में वैश्विक स्तर पर यह संकट और गंभीर हो सकता है।