जगदीप धनखड़ का इस्तीफा:- आज संसद का मानसून सत्र का चोथा दिन है लेकिन आपको बतादे संसद के मानसून सत्र की शुरुआत से ठीक पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अप्रत्याशित इस्तीफे ने देश की सियासत में हलचल मचा दी है। इस्तीफे को लेकर जहां विपक्ष केंद्र सरकार पर दबाव डालने के आरोप लगा रहा है, वहीं सत्तारूढ़ दल का कहना है कि कांग्रेस इस मामले को बेवजह तूल दे रही है। अब देखना यह होगा की उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अचानक इस्तीफा क्यों दे दिया |

राष्ट्रपति भवन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक हम आपको बतादे सोमवार सुबह करीब 8:30 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बिना पूर्व सूचना के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने पहुंच गए थे। प्रोटोकॉल का पालन न करने की वजह से उन्हें राष्ट्रपति से मिलने के लिए लगभग आधा घंटा प्रतीक्षा करनी पड़ी। बाद में उन्होंने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंपा और तुरंत ही इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर साझा कर दी। इसके बाद वह अपने सरकारी आवास की ओर रवाना हो गए।
पिछले साल से रिश्तों में खटास
धनखड़ और केंद्र सरकार के बीच असहजता की शुरुआत दिसंबर 2024 में मानी जा रही है। तब एक सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने किसान आंदोलन को लेकर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मौजूदगी में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि किसानों की चिंताओं को नज़रअंदाज़ करना एक गंभीर भूल है और सरकार को अपने किए वादों को निभाना चाहिए।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति से मुलाकात पर भी खींचतान
सूत्रों के अनुसार अप्रैल 2025 में भारत दौरे पर आए अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से मुलाकात को लेकर भी जगदीप धनखड़ और सरकार के बीच मतभेद उभरे थे। धनखड़ इस बैठक को लेकर विशेष रूप से उत्सुक थे, लेकिन इसे लेकर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई थी।
इस्तीफे के पीछे की वजह पर सस्पेंस कायम
हालांकि अभी तक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे की असल वजह को लेकर अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं है। उनके करीबी सूत्रों ने इसे स्वास्थ्य से जुड़ा निर्णय बताया है, लेकिन समय और तरीके को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष ने दावा किया है कि यह इस्तीफा सरकार के दबाव का नतीजा है। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगभग 15 घंटे बाद सोशल मीडिया पर उनकी सेहत को लेकर शुभकामनाएं दीं, ताकि यह संदेश न जाए कि इस्तीफा दबाव में दिया गया।
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महाभियोग की प्रक्रिया पर नजरें
लोकसभा में 152 सांसदों द्वारा महाभियोग से संबंधित नोटिस दिए जाने के बाद अब इस पर प्रक्रिया आगे बढ़ने की संभावना है। कार्यवाहक सभापति हरिवंश इस पर फैसला लेंगे। अगर राज्यसभा में इस प्रक्रिया की शुरुआत हुई, तो इसका राजनीतिक प्रभाव व्यापक हो सकता है। वहीं, विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है, जबकि सत्ता पक्ष पूरी रणनीति के साथ जवाब देने की तैयारी में जुटा है। जगदीप धनखड़ का इस्तीफा केवल एक संवैधानिक पद से त्याग नहीं, बल्कि सत्ता और संस्था के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों की एक नई कहानी को जन्म देता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस घटनाक्रम से देश की राजनीति किस दिशा में जाती है |