राज्यसभा में जेपी नड्डा का बड़ा हमला:- राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ पर विशेष चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस के शासनकाल में सीमावर्ती इलाकों के विकास की अनदेखी की गई और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने के बजाय तुष्टिकरण की नीति को प्राथमिकता दी गई है आईये जानते है जेपी नड्डा ने और किया ब्यान दिए है

आपको बतादे जेपी नड्डा ने कहा कि पूर्व सरकारों की सोच ही सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी बाधा बनी रही। उन्होंने दावा किया कि एक समय के रक्षा मंत्री का मानना था कि सीमाओं को अविकसित रखना ज्यादा सुरक्षित है। नड्डा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यह वही मानसिकता थी, जिसके चलते देश की सुरक्षा से समझौता किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि एक पूर्व गृहमंत्री को कश्मीर जाने में भय लगता था, जबकि देश को एक मजबूत नेतृत्व की जरूरत थी। नड्डा ने कहा, “हम उस समय अंधेरे में जी रहे थे।” उन्होंने जोर देते हुए कहा कि 2014 से 2025 तक, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश में किसी बड़े आतंकी हमले की घटना नहीं हुई है।
जेपी नड्डा ने 2005 से लेकर 2008 तक देश में हुए विभिन्न आतंकी हमलों का जिक्र करते हुए कहा कि दिल्ली, 2006 मैं वाराणसी और मुंबई जैसे शहरों में एक के बाद एक धमाके हुए, लेकिन तत्कालीन सरकार ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने सवाल उठाया कि जब देश पीड़ा झेल रहा था, तब भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार और पर्यटन जैसे कार्यक्रम जारी क्यों रहे।
उन्होंने कहा कि उस समय भी हमारे पास वही सुरक्षा एजेंसियां थीं, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी थी। नड्डा ने 2009 में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि उस मंच पर भी 26/11 जैसे आतंकी हमले का कोई जिक्र नहीं किया गया।
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नड्डा ने कांग्रेस पर तुष्टिकरण की नीति अपनाने का आरोप दोहराते हुए कहा कि 2008 के जयपुर धमाकों के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच विश्वास निर्माण की पहल की गई। उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, “जब वे हमें गोलियों से छलनी कर रहे थे, हम उन्हें बिरयानी परोस रहे थे।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट जैसी नीतियों को अनुमति दी थी, जिससे सुरक्षा व्यवस्था कमजोर पड़ी।