बेंगलुरु भगदड़ पर कर्नाटक सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पेश:- इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की ऐतिहासिक जीत के बाद 4 जून को बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भीषण भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 50 से अधिक लोग घायल हुए है । इस घटना को लेकर गुरुवार को कर्नाटक सरकार ने हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट जमा की जिसमें आयोजकों और आरसीबी पर गंभीर लापरवाही और बदइंतजामी का आरोप लगाया गया है

सरकार का रुख सख्त, कार्रवाई के संकेत

कर्नाटक के मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा कि दोषी चाहे कोई भी हो, सरकार कार्रवाई से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह किसी पर दोष मढ़ने का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी तय करने का समय है। मंत्री ने कहा, “जितने लोग इस हादसे में मारे गए हैं, उसके बाद कोई निष्कर्ष निकालने से पहले रिपोर्ट को गंभीरता से देखना जरूरी है। अगर लापरवाही सामने आती है, तो कार्रवाई जरूर होगी।

स्टेटस रिपोर्ट में RCB और आयोजकों को ठहराया गया जिम्मेदार

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, कार्यक्रम की योजना और प्रचार के दौरान आयोजकों द्वारा पुलिस से किसी भी तरह की औपचारिक अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस ने पहले ही आयोजन की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। बावजूद इसके, आरसीबी ने सोशल मीडिया पर समारोह का प्रचार जारी रखा।

4 जून की सुबह आरसीबी ने सोशल मीडिया पोस्ट और विराट कोहली की वीडियो अपील के ज़रिए प्रशंसकों को नि:शुल्क प्रवेश देकर स्टेडियम आने के लिए आमंत्रित किया। सुबह 7:01 बजे एक पोस्ट के जरिए आयोजन की जानकारी साझा की गई, वहीं 8:55 बजे विराट कोहली का वीडियो जारी हुआ, जिसमें उन्होंने बेंगलुरु वासियों से शाम 5 बजे परेड और स्टेडियम समारोह में शामिल होने की अपील की।

पास प्रणाली ने बढ़ाया भ्रम, हुआ भारी कुप्रबंधन

सरकार ने रिपोर्ट में बताया कि आयोजन के दिन अचानक दोपहर 3:14 बजे आयोजकों ने घोषणा कर दी कि स्टेडियम में प्रवेश केवल पास के जरिए ही होगा। यह घोषणा पहले किए गए “नि:शुल्क प्रवेश” के ऐलान से बिल्कुल उलट थी, जिससे लोगों में भ्रम फैल गया। भीड़ प्रबंधन की पूरी व्यवस्था चरमरा गई और स्टेडियम के प्रवेश द्वारों पर भारी दबाव बन गया।

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प्रशासनिक लापरवाही और समन्वय की कमी उजागर

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, आयोजन से जुड़े तीन मुख्य पक्ष—आरसीबी, डीएनए (इवेंट कंपनी) और केएससीए (कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन)—प्रभावी समन्वय स्थापित करने में विफल रहे। समय पर प्रवेश द्वार न खुलने और भारी भीड़ के दबाव के चलते भगदड़ की स्थिति बन गई, जिसमें सात पुलिसकर्मी भी घायल हो गए।

कार्रवाई के पहले कदम

घटना के तुरंत बाद कर्नाटक सरकार ने 5 जून को कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकारियों को निलंबित कर दिया था और जांच के लिए हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अगुवाई में एक सदस्यीय जांच आयोग गठित किया गया था।