राकेश टिकैत के अपमान पर सुलगा मुजफ्फरनगर:- मुजफ्फरनगर, उत्तर प्रदेश – एक बार फिर मुजफ्फरनगर की खबरों ने सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन इस बार कारण कुछ और है।

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता, राकेश टिकैत के साथ पहलगाम हमले को लेकर आयोजित जन आक्रोश रैली के दौरान हुई बदसलूकी ने पूरे किसान समाज को झकझोर दिया। रैली के दौरान टिकैत साहब के साथ धक्का-मुक्की की गई और उनकी पगड़ी गिरा दी गई। यह सिर्फ एक व्यक्ति का अपमान नहीं था, बल्कि यह पूरे किसान समुदाय की अस्मिता पर हमला था, जो किसी भी किसान को सहन नहीं होगा।
2. सिसौली पंचायत में किसानों की एकजुटता: ‘अपमान नहीं सहेंगे!’
इस अपमान के खिलाफ किसानों ने एकजुट होकर सिसौली में ऐतिहासिक पंचायत का आयोजन किया। पंचायत में बड़ी संख्या में किसान, पदाधिकारी और नेता एकत्रित हुए। इस मौके पर मंच से एक ही आवाज उठी – “अपमान नहीं सहेंगे!” किसानों का आक्रोश साफ था और उनका एकजुट होना यह दर्शाता है कि अब वे अपने अधिकारों के लिए खड़े हो चुके हैं। पंचायत के बाद, किसानों ने टाउनहॉल तक पैदल मार्च किया और तिरंगा लहराया। इस दौरान, पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष पर्यटकों के लिए मौन श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई।
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3. गर्मी और चुनौतियों के बावजूद, किसान आंदोलित: राकेश टिकैत की उपस्थिति बनी आंदोलन की ताकत
सिसौली में आयोजित पंचायत के दौरान, गर्मी का मौसम था, जिसमें तापमान 40 डिग्री तक पहुंच चुका था, लेकिन किसानों का जोश उतना ही उच्च था। राकेश टिकैत की तबीयत बिगड़ने के बावजूद, उनकी उपस्थिति ही इस आंदोलन की ताकत बन गई। उन्होंने भाषण नहीं दिया, लेकिन उनकी मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि किसानों की एकजुटता और नेतृत्व में कितनी ताकत है। किसान मानते हैं, “जब खेतिहर उठता है, तो सिर्फ धरती ही नहीं, सत्ता भी हिलती है।” इस आंदोलन की दिशा क्या होगी, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन किसान अपनी आवाज उठाने से पीछे नहीं हटेंगे।