नेशनल हेराल्ड केस:- कांग्रेस नेताओं के खिलाफ चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले में शुक्रवार को अदालत में जोरदार बहस हुई। इस दौरान कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के केस को “अजीब और कानूनी रूप से कमजोर” करार दिया।

कोर्ट में सिंघवी की दलील: ना संपत्ति का लेन-देन ना लाभ का उद्देश्य
सिंघवी ने अदालत में कहा यह सिर्फ कोई साधारण मामला नहीं है। ईडी इसे मनी लॉन्ड्रिंग का केस बता रही है लेकिन इसमें न कोई संपत्ति का लेन-देन है न उपयोग और न ही किसी को लाभ हुआ है। यह मामला अभूतपूर्व है क्योंकि इसमें मनी लॉन्ड्रिंग के बुनियादी तत्व ही नहीं मिलते। उन्होंने यह भी बताया कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है, जिसका गठन AJL को कर्जमुक्त करने के लिए किया गया था और इसका उद्देश्य किसी भी प्रकार का लाभ बोनस या लाभांश बांटना नहीं है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
यह मामला एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की संपत्तियों के अधिग्रहण से जुड़ा है जो एक समय पर ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार प्रकाशित करती थी। ईडी का आरोप है कि सोनिया गांधी राहुल गांधी दिवंगत नेता मोतीलाल वोरा ऑस्कर फर्नांडिस सुमन दुबे और सैम पित्रोदा ने मिलकर धोखाधड़ी से करीब 2,000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़प ली। ईडी का दावा है कि यंग इंडियन नाम की कंपनी ने सिर्फ ₹90 करोड़ के ऋण के बदले AJL की पूरी संपत्ति अपने नियंत्रण में ले ली जबकि गांधी परिवार इस कंपनी का नियंत्रण अपने हाथ में रखता है।
एजीएल को कर्जमुक्त करने के लिए उठाया गया कदम
सोनिया गांधी की ओर से पेश सिंघवी ने अदालत को बताया कि यह पूरा लेन-देन AJL की देनदारियों को समाप्त करने के लिए किया गया था। उन्होंने कहा “हर कंपनी को अपनी देनदारी खत्म करने का कानूनी अधिकार है। AJL का कर्ज यंग इंडियन को ट्रांसफर किया गया ताकि AJL कर्जमुक्त हो सके।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यंग इंडियन को किसी तरह का मुनाफा नहीं होता और न ही कोई लाभांश दिया जाता है।
ईडी ने वर्षों तक कुछ नहीं किया
सिंघवी ने यह भी आरोप लगाया कि ईडी ने इस मामले में वर्षों तक कोई कार्रवाई नहीं की और अब अचानक एक निजी शिकायत के आधार पर जांच शुरू की गई है। उन्होंने कहा “यह केस राजनीतिक मकसद से प्रेरित है। कांग्रेस और नेशनल हेराल्ड का ऐतिहासिक रिश्ता है। अगर नेशनल हेराल्ड किसी गैर-कांग्रेसी संस्था के पास चला जाए तो यह वैसा ही होगा जैसे शेक्सपियर का ‘हैमलेट’ नाटक हो लेकिन उसमें डेनमार्क का राजकुमार न हो।
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ईडी की दलील: गांधी परिवार के पास पूरा नियंत्रण
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू ने अदालत को बताया कि गांधी परिवार यंग इंडियन कंपनी के असली लाभार्थी हैं। उनके अनुसार अन्य शेयरधारकों की मृत्यु के बाद पूरा नियंत्रण गांधी परिवार के पास चला गया है। ईडी ने इस केस में पीएमएलए की धारा 3 (मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा) और धारा 4 (सजा से जुड़ी) के तहत चार्जशीट दाखिल की है जिसमें सोनिया गांधी राहुल गांधी सुमन दुबे सैम पित्रोदा यंग इंडियन और अन्य संस्थाएं शामिल हैं।
आगे क्या?
अब अदालत यह तय करेगी कि ईडी की चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाए या नहीं। जल्द ही अगली सुनवाई की तारीख तय की जाएगी। इस मामले का भविष्य कोर्ट के इस निर्णय पर निर्भर करेगा।