Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के टूरिस्ट प्लेस पहलगाम इलाके में हुए आतंकी हमले को लेकर लगातार एक के बाद एक चौंकाने वाले राज के खुलासे हो रहे हैं। जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक इस आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान से संचालित हो रही आतंकी गतिविधियों का सीधा संबंध बताया जा रहा है।

पश्तो भाषा में बातचीत और विदेशी पहचान
जांच के दौरान पता चला है कि हमले में शामिल चार आतंकियों में से दो आंतकी लगातार पश्तो भाषा में बोल रहे थे। यह बिल्कुल सीधे संकेत है कि वे पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों या अफगानिस्तान से ताल्लुक रखते हैं। दोनों आतंकियों की पहचान कर ली गई है और उनकी नागरिकता भी संदिग्ध पाई गई है।
कोड नेम और आतंकी पहचान का राज खुला
चार में से तीन आतंकियों के कोड नेम सामने आए हैं। जांच एजेंसियों के अनुसार:
- आसिफ फौजी का कोड नाम मूसा था
- सुलेमान शाह का कोड नाम यूनूस था
- अबु तल्हा का कोड नाम आसिफ था
इनमें से एक आतंकी आसिफ शेख जैश-ए-मोहम्मद जैसे कुख्यात आतंकी संगठन से जुड़ाहुआ था ऐसा बताया जा रहा है।
बॉडी कैम से निगरानी या लाइव मॉनिटरिंग की साजिश

हुए आतंकी हमले में एक नया और खतरनाक पहलू सामने आया है— बताया जा रहा है कि आतंकियों के शरीर पर बॉडी कैम लगे हुए थे। इससे आशंका है कि या तो वे पूरी घटना को रिकॉर्ड कर रहे थे या फिर पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स इसे घटना को लाइव देख रहे थे। यह साफ इशारा है कि हमले की योजना बेहद सुनियोजित और हाई-टेक कि गई थी।
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26 लोगो की हत्या, घाटी में फेला डर का माहोल
इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की बेरहमी से जान ले ली गई। इनमें मजदूर, स्थानीय नागरिक और पर्यटक शामिल थे। हुए हमले के बाद से इलाके में लगातार डर का माहौल बना हुआ है और सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र में तलाशी अभियान तेज कर दिया है।
जांच एजेंसियों ने शुरू की गहन छानबीन
घटनास्थल से मिले सुरागों के आधार पर जांच एजेंसियां अब बॉडी कैम फुटेज, सीसीटीवी वीडियो और तकनीकी डेटा का विश्लेषण कर रही हैं। उद्देश्य यह है कि हमले के मास्टरमाइंड तक पहुंचा जा सके और पूरे आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश हो।
सरकार की कड़ी प्रतिक्रिया और सख्त रुख
भारत सरकार ने हुए इस आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है और उन्होंने कहा है कि ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। केंद्रीय गृहमंत्री ने सुरक्षा एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे बिना किसी दबाव के इस हमले की तह तक जाएं।
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सवाल बरकरार: कब थमेगा आतंक का साया?
यह हमला केवल एक सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता पर भी हमला है। यह वक्त सिर्फ जांच करने या प्रतिक्रिया का नहीं, बल्कि आतंक के पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने का है। सवाल यही है — कब तक आम नागरिकों को ऐसे खौफनाक हमलों का शिकार बनना पड़ेगा?
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