Punjab Floods:- पंजाब के हालात अभी भी चिंता जनक बनाए हुए है आपको बतादे पंजाब इन दिनों बाढ़ की भीषण त्रासदी से जूझ रहा है। सैकड़ों गांव जलमग्न हैं और लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं। घरों में पानी घुसने से लोगों को राहत शिविरों और तिरपाल के सहारे गुजारा करना पड़ रहा है। गांवों की गलियों और घरों में तीन से चार फीट तक पानी भरा है इससे लोगो को काफी परेशानियों का सामना करना पद रहा है

अमृतसर के गांवों में तबाही का मंजर

अमृतसर के सीमावर्ती इलाकों, खासकर रमदास क्षेत्र के दंगई गांव में बाढ़ ने जिंदगी को थाम दिया है। यहां हर घर प्रभावित है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी ऐसी तबाही नहीं देखी। कीमती सामान और रोजमर्रा की जरूरत की चीजें सड़क किनारे तिरपाल के नीचे पड़ी हैं। कई मकान जर्जर होकर ढह गए हैं और लोग अस्थायी टेंटों में रहने को मजबूर हैं।

Image:- Amar Ujala

गांव के किसान दिलबाग सिंह, हरजोत सिंह, सुखदेव सिंह और सुखजीत बताते हैं कि उनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है और छोटा-मोटा कारोबार भी ठप पड़ गया है। पशुओं की हालत भी खराब है, कई बीमार पड़ गए हैं।

अजनाला के 45 गांव डूबे

अजनाला क्षेत्र में करीब 45 गांव पूरी तरह पानी से घिरे हुए हैं। जिला प्रशासन के साथ सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और बीएसएफ की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। प्रभावित लोगों तक दवाइयां, राशन और अस्थायी आश्रय पहुंचाया जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि मदद जरूरत के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।

भय और असुरक्षा

बाढ़ग्रस्त गांवों में चोरी की घटनाओं के चलते लोग सुरक्षा की कमी को लेकर भी परेशान हैं। अस्थायी तिरपाल और झोपड़ियों में रहना मुश्किल हो रहा है। बारिश होते ही ये टूट जाते हैं और ग्रामीणों को पूरी रात खुले आसमान तले बितानी पड़ती है।

पूरे पंजाब में बढ़ा संकट

राज्यभर में हालात गंभीर हैं। अब तक 23 जिलों के लगभग 1500 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, करीब 3.87 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और 46 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 1.74 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है।

नदियों और बांधों का दबाव

पंजाब की जीवनरेखा कही जाने वाली रावी, व्यास और सतलुज नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। भारी बारिश के कारण भाखड़ा, रणजीत सागर और पौंग डैम के गेट कई बार खोलने पड़े। नतीजा यह हुआ कि लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया और तटबंध टूटने से पानी गांवों में घुस आया।

विशेषज्ञों का कहना है कि 1988 की बाढ़ को अब तक पंजाब की सबसे भीषण त्रासदी माना जाता था, लेकिन इस बार हालात उससे भी ज्यादा भयावह हैं। अगस्त के अंत तक 14.11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, जो 1988 की तुलना में कहीं अधिक है।

सबसे ज्यादा प्रभावित जिले

अमृतसर, तरनतारन, कपूरथला, पठानकोट, गुरदासपुर, मोगा, फिरोजपुर, फाजिल्का और होशियारपुर जिले बुरी तरह प्रभावित हैं। अमृतसर के अजनाला इलाके में कई गांवों में अब भी चार फीट तक पानी भरा हुआ है।

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यह रिपोर्ट बताती है कि पंजाब इस समय देश की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा से गुजर रहा है। सरकार और प्रशासन लगातार राहत कार्यों में जुटे हैं, लेकिन लोगों के जीवन को सामान्य होने में महीनों लग सकते हैं।