बारिश बनी मुसीबत:- दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह से हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। तेज बारिश के चलते सड़कों पर जलभराव हो गया, जिससे वाहनों की आवाजाही बाधित हो रही है। नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद जैसे प्रमुख इलाकों में ट्रैफिक जाम ने आम लोगों को घंटों फंसा रखा

मौसम विभाग का येलो अलर्ट
भारत मौसम विज्ञान विभाग ने दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की संभावना जताते हुए येलो अलर्ट जारी किया है। अगले 24 घंटों में तेज हवाएं चलने की भी चेतावनी दी गई है।
फरीदाबाद में बारिश और जलभराव
फरीदाबाद के एनआईटी-5 सी ब्लॉक और नेशनल हाईवे पर सुबह की बारिश के कारण पानी भर गया। जलभराव के चलते ट्रैफिक की गति धीमी हो गई, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
गाजियाबाद में हाईवे जाम
गाजियाबाद में तड़के हुई बारिश के बाद दिल्ली-मेरठ हाईवे पर भीषण जाम लग गया। स्कूल जाने वाले बच्चों और दफ्तर जाने वाले लोगों को खासा दिक्कत झेलनी पड़ी। गंगनहर पुल और संपर्क मार्गों पर भी यातायात बाधित रहा।
दिल्ली में जलभराव से यातायात ठप
राजधानी दिल्ली में महरौली-बदरपुर रोड समेत कई क्षेत्रों में बारिश के चलते सड़कों पर जलभराव हो गया है। कई प्रमुख मार्गों पर वाहन लंबी कतार में रेंगते नजर आए। इसके साथ ही आईजीआई एयरपोर्ट से उड़ान भरने वाली कुछ फ्लाइट्स में देरी दर्ज की गई है, जिससे यात्री परेशान नजर आए।
ग्रेटर नोएडा में अंडरपास और मुख्य सड़कों पर जलजमाव
ग्रेटर नोएडा के गुलिस्तानपुर अंडरपास और 130 मीटर रोड पर पानी भरने से लंबा जाम लग गया। बारिश के कारण कई स्कूल बसें और निजी वाहन बंद हो गए। प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस को जाम खुलवाने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
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गुरुग्राम में भीषण बारिश से बनी मुश्किलें
मिलेनियम सिटी गुरुग्राम में तड़के चार बजे से बारिश का दौर शुरू हुआ जो रुक-रुक कर जारी है। सेक्टर 4, 7, राजीव नगर, सोहना रोड, पालम विहार और सुभाष चौक जैसे क्षेत्रों में पानी भरने से जाम की स्थिति बनी रही। तापमान में गिरावट दर्ज की गई है — रविवार का अधिकतम तापमान 33°C से घटकर सोमवार को 27°C रह गया।
नगर निकायों की तैयारियों की खुली पोल
हर वर्ष की तरह इस बार भी नगर प्राधिकरण और ट्रैफिक विभाग के दावों की पोल खुल गई है। जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण बारिश के कुछ ही घंटों में सड़कों पर पानी भर गया। नालों की सफाई और वर्षा प्रबंधन के वादे एक बार फिर कागजों तक सीमित रह गए।