SCO Summit 2025 शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 में तकनीक ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस सम्मेलन में न कोई राजनेता और न ही कोई अधिकारी, बल्कि एक अत्याधुनिक AI ह्यूमनॉइड रोबोट ‘श्याओ हे’ ने सबका ध्यान खींचा।

चीन के तियानजिन शहर में आयोजित इस शिखर सम्मेलन में श्याओ हे का उद्देश्य वैश्विक नेताओं और पत्रकारों की मदद करना था। यह रोबोट अंग्रेजी, रूसी और चीनी जैसी कई भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है और तुरंत जानकारी प्रोसेस करके सटीक उत्तर दे सकता है।

पत्रकारों से ‘डिप्लोमैटिक’ बातचीत

जब श्याओ हे से भारत के बारे में ‘व्यक्तिगत राय’ पूछी गई, तो उसने संतुलित और सधा हुआ जवाब दिया। रोबोट ने कहा, “एक AI सर्विस रोबोट होने के नाते, मैं किसी भी देश या राजनीति पर व्यक्तिगत राय नहीं देता।” इसके बजाय, उसने SCO शिखर सम्मेलन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियों और आगामी कार्यक्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अपने प्रदर्शन पर सवाल पूछे जाने पर श्याओ हे ने आत्मविश्वास से कहा, “मैं आज अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार काम कर रहा हूं। पूछने के लिए धन्यवाद।”

श्याओ हे की खासियतें

पत्रकारों के साथ बातचीत में श्याओ हे ने खुद को “स्पेशल पर्पस रोबोट” बताया। यह रोबोट मल्टीटास्किंग में सक्षम है और सीमित विषयों पर प्रोफेशनल प्रोटोकॉल का पालन करते हुए जानकारी प्रदान करता है। इसके अलावा, मीडिया सेंटर में एक अन्य रोबोट वॉलंटियर्स को आइसक्रीम परोसता नजर आया, जो इस सम्मेलन में तकनीक के व्यापक इस्तेमाल का उदाहरण था।

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7 साल बाद चीन में प्रधानमंत्री मोदी

इस शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। 7 साल बाद चीन की धरती पर पहुंचे पीएम मोदी का चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रधानमंत्री मोदी ने शी जिनपिंग के साथ हाथ मिलाया और SCO सदस्य देशों के नेताओं के साथ समूह तस्वीर में शामिल हुए, जो क्षेत्रीय सहयोग का प्रतीक है।

शिखर सम्मेलन की शुरुआत से पहले, पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच कई द्विपक्षीय बैठकें हुईं। विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों नेताओं ने वैश्विक व्यापार को स्थिर करने में भारत और चीन की भूमिका पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने “पीपुल-टू-पीपुल” संपर्क को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की, जिसमें सीधी उड़ानों की बहाली, आसान वीजा सुविधा और कैलाश मानसरोवर यात्रा शामिल हैं। यह बैठक दोनों देशों के संबंधों में एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।