शाही जामा मस्जिद विवाद:– संभल की ऐतिहासिक शाही जामा मस्जिद से जुड़े विवाद में सोमवार को एक अहम मोड़ आया, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद प्रबंधन समिति की सिविल पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि संभल की जिला अदालत में मस्जिद के सर्वे की कार्यवाही बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ेगी।

हाईकोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सर्वे का आदेश विधिसम्मत है और संभल सिविल कोर्ट इस मामले की सुनवाई के लिए सक्षम है। हाईकोर्ट ने यह फैसला 13 मई को दोनों पक्षों की विस्तृत बहस के बाद सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब सार्वजनिक कर दिया गया है।
विवाद की जड़ में क्या है मामला?
पूरा मामला 19 नवंबर 2024 को शुरू हुआ था, जब कुछ याचिकाकर्ताओं ने संभल की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में यह दावा करते हुए याचिका दायर की कि शाही जामा मस्जिद का निर्माण वर्ष 1526 में एक प्राचीन हरिहर मंदिर को ध्वस्त कर किया गया था, जो भगवान विष्णु के अंतिम अवतार ‘कल्कि’ को समर्पित था। इस दावे के आधार पर अदालत ने मस्जिद परिसर का सर्वे कराने का आदेश दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय की भूमिका
इस फैसले को लेकर मस्जिद प्रबंधन समिति ने पहले सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने समिति को इलाहाबाद हाईकोर्ट से राहत लेने की सलाह दी और राज्य सरकार की स्थिति रिपोर्ट पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उस रिपोर्ट में उल्लेख था कि जिस विवादित कुएं को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, वह मस्जिद के प्रांगण के बाहर स्थित है।
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हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता गोपाल शर्मा ने बताया कि, 19 नवंबर को हमारी ओर से याचिका दायर की गई थी, जिसके आधार पर अदालत ने मस्जिद परिसर के सर्वे का निर्देश दिया। यह सर्वेक्षण दो अलग-अलग चरणों में संपन्न हुआ। इसके बाद मस्जिद प्रबंधन समिति ने इस आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी, जहां से मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजे जाने की सलाह दी गई।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कानूनी सवाल यह था कि क्या स्थानीय अदालत को इस तरह का सर्वे आदेश देने का अधिकार है, और क्या मामला किसी अन्य अदालत में स्थानांतरित किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब यह स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई है — सर्वे और अन्य कानूनी प्रक्रिया संभल की जिला अदालत में ही जारी रहेगी।
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आगे क्या?
इस निर्णय के बाद अब मस्जिद परिसर के सर्वे की प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं है। आने वाले दिनों में सर्वे की अगली चरणों की रूपरेखा तय की जाएगी, और संबंधित पक्षों की ओर से दस्तावेजी और अन्य साक्ष्यों को प्रस्तुत करने की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।