तेज प्रताप यादव की बगावत:- तेज प्रताप यादव ने अपने सोशल मीडिया पर एक तीखा और भावनात्मक संदेश साझा किया है, जिसमें उन्होंने लिखा है “मेरी खामोशी को मेरी कमजोरी मत समझना। मुझे तुम्हारी साजिशों का अंदाज़ा है। शुरुआत तुमने की थी, अंत मैं करूंगा। मैं झूठ और फरेब के इस चक्रव्यूह को तोड़ने वाला हूं। अब मेरी भूमिका कोई दल या परिवार नहीं, मेरी जनता और सर्वोच्च न्यायालय तय करेगा।”

यह शब्द सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि भीतर की पीड़ा और संघर्ष की झलक भी देते हैं। ऐसा लगता है कि तेज प्रताप यादव अब राजनीतिक और पारिवारिक नियंत्रण से मुक्त होकर अपनी स्वतंत्र पहचान की तलाश में हैं।
एक पोस्ट ने मचाया बवाल
हाल ही में तेज प्रताप यादव के सोशल मीडिया अकाउंट से एक पोस्ट वायरल हुआ था जिसमें उनके एक महिला मित्र के साथ संबंधों को लेकर दावा किया गया था। पोस्ट में कहा गया था कि दोनों एक-दूसरे को 12 साल से जानते हैं। इस निजी पोस्ट ने न सिर्फ सनसनी फैलाई बल्कि राजनीतिक तूफान भी खड़ा कर दिया।
राजद से निष्कासन और पारिवारिक दूरी
तेज प्रताप के इस व्यवहार को लेकर लालू प्रसाद यादव ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित किया जा रहा है। यही नहीं, उन्हें परिवार से भी दूर कर दिया गया है।
लालू यादव ने कहा,
“नैतिक मूल्यों की अनदेखी हमारे सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करती है। तेज प्रताप का गैर-जिम्मेदार व्यवहार पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ है, इसलिए अब से उसकी कोई भूमिका न पार्टी में होगी और न ही परिवार में।”
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क्या अब तेज प्रताप खुद का रास्ता चुनेंगे?
यह सवाल अब बिहार की राजनीति में गूंज रहा है कि क्या तेज प्रताप यादव अब अपनी अलग राजनीतिक राह चुनेंगे? उनके पोस्ट से साफ है कि वे अब किसी के नियंत्रण में नहीं रहना चाहते।
उनका ये बदला-बदला स्वरूप यह संकेत देता है कि आने वाले समय में वे एक स्वतंत्र राजनीतिक चेहरा बनना चाह रहे हैं, जो पारिवारिक विरासत से आगे निकलकर अपनी आवाज़ और विचारों के आधार पर जनता के बीच जगह बनाए।
निष्कर्ष:
तेज प्रताप यादव की यह पूरी कहानी निजी और राजनीतिक संघर्ष, पारिवारिक खींचतान, और आत्म-अभिव्यक्ति की एक मिसाल बनती दिख रही है। अब देखना दिलचस्प होगा कि तेज प्रताप इस चक्रव्यूह को कैसे तोड़ते हैं और अपनी राजनीतिक यात्रा को किस दिशा में लेकर जाते हैं।