Tejas Mark-1A:- भारतीय वायुसेना के लिए आज का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ है। लंबे इंतजार के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमान ने शुक्रवार को महाराष्ट्र के नासिक में अपनी पहली उड़ान भरी।

इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वयं मौजूद रहे और उन्होंने एचएएल की तीसरी उत्पादन लाइन का भी औपचारिक उद्घाटन किया।

तेजस मार्क-1A, भारत में विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) का आधुनिक और उन्नत संस्करण है, जो देश की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।

तेजस मार्क-1A: आधुनिक तकनीक से लैस स्वदेशी योद्धा

तेजस मार्क-1A को चौथी पीढ़ी का हल्का और अत्याधुनिक लड़ाकू विमान माना जा रहा है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके 65% से अधिक उपकरण भारत में निर्मित हैं। यह विमान 2200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम है और करीब 9 टन वज़न के हथियार लेकर दुश्मन पर सटीक निशाना साध सकता है।

यह “बियॉन्ड विजुअल रेंज” मिसाइलों, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट और अत्याधुनिक रडार प्रणाली से लैस है। खास बात यह है कि यह एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।

क्यों हुआ देरी से तैयार

हालांकि यह विमान भारतीय वायुसेना को दो साल पहले ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन अमेरिकी इंजन की आपूर्ति में देरी के कारण परियोजना आगे बढ़ गई। एचएएल को अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से इस महीने चौथा इंजन मिला है। 2021 में भारत ने इस कंपनी से 99 इंजनों की आपूर्ति के लिए 5,375 करोड़ रुपये का सौदा किया था।

एचएएल के अधिकारियों के अनुसार, अब तक 10 तेजस मार्क-1A विमान तैयार हो चुके हैं, जिन्हें इंजन फिटिंग और परीक्षण के बाद भारतीय वायुसेना को सौंप दिया जाएगा।

भारत की वायुसेना के लिए अहम कदम

फिलहाल भारतीय वायुसेना को 42 स्क्वॉड्रन की जरूरत है, लेकिन मिग-21 विमानों के रिटायर होने के बाद केवल 29 स्क्वॉड्रन ही सेवा में हैं। इस कमी को पूरा करने में तेजस मार्क-1A जैसी स्वदेशी परियोजनाएँ निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

तेजस विमानों को राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस पर तैनात किए जाने की योजना है, जो पाकिस्तान सीमा के नजदीक होने के कारण सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है।

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भविष्य की योजना और रक्षा मजबूती

रक्षा मंत्रालय ने हाल ही में एचएएल के साथ 97 अतिरिक्त तेजस विमानों के लिए 62,370 करोड़ रुपये के नए सौदे पर हस्ताक्षर किए हैं। इनमें से 68 सिंगल सीटर और 29 ट्विन सीटर विमान शामिल हैं। इनकी डिलीवरी 2027-28 से शुरू होकर छह साल में पूरी की जाएगी।

एचएएल की योजना है कि वर्ष 2026 से हर साल 30 तेजस लड़ाकू विमान तैयार किए जाएं।

स्वदेशी आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

तेजस मार्क-1A का उड़ान भरना केवल तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प की मजबूत मिसाल है। यह विमान भारतीय रक्षा प्रणाली में उस नए युग की शुरुआत का संकेत देता है, जहाँ देश खुद अपनी सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक हथियार प्रणाली विकसित कर रहा है।