आरजी कर कांड:- आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या की घटना को एक वर्ष पूरा हो गया है। इस दर्दनाक वारदात की बरसी से ठीक पहले पीड़िता के माता-पिता ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की जांच पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए दिल्ली में सीबीआई निदेशक से मुलाकात की, जो उनके अनुसार “बेहद निराशाजनक” रही।

पीड़िता की मां ने इस मुलाकात के बाद दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता द्वारा प्रदान किया गया ‘नारी शक्ति सम्मान’ लौटा दिया और स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक बेटी को न्याय नहीं मिलेगा, तब तक कोई भी सम्मान स्वीकार नहीं करेंगी।
CBI की रीढ़ नहीं है: पीड़िता के पिता
दिल्ली से लौटते ही पीड़िता के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा, देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी से हमें ये उम्मीद नहीं थी। CBI निदेशक प्रवीण सूद ने हमें कहा कि वे यह केस छोड़ना चाहते हैं। अगर ऐसा है तो उन्हें अदालत से अनुमति लेकर केस वापस देना चाहिए। हमने उन्हें नहीं चुना था—कोर्ट ने उन्हें नियुक्त किया था।
परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि सीबीआई के पास न तो घटना के सही स्थान की जानकारी थी, न ही यह स्पष्ट था कि दुष्कर्म और हत्या में कौन-कौन शामिल था। पूछे गए सवालों पर एजेंसी की चुप्पी को उन्होंने ‘चिंताजनक’ बताया।
रीढ़ सीधी कीजिए या इस्तीफा दीजिए
मुलाकात के दौरान पीड़िता के माता-पिता ने निदेशक को एक प्लेकार्ड सौंपा, जिस पर लिखा था, “रीढ़ सीधी कीजिए या इस्तीफा दीजिए।” इसके जवाब में निदेशक ने कहा, “हमारी रीढ़ है।” इस पर पीड़िता की मां ने तीखे लहजे में पलटवार करते हुए कहा, “नहीं है।”
अमित शाह से नहीं हो सकी भेंट
परिवार ने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिलने का प्रयास किया, लेकिन मुलाकात संभव नहीं हो सकी। हालांकि, उन्होंने आगे फिर से मिलने की कोशिश करने की बात कही है।
कानूनी मोर्चे पर तेज़ी
दिल्ली यात्रा के दौरान पीड़िता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट की वकील करुणा नंदी से भी मुलाकात की। अब उनका पूरा फोकस न्यायालय के माध्यम से न्याय की लड़ाई लड़ने पर है।
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विरोध की नई लहर
आज पूरे राज्य में घटना की बरसी पर व्यापक विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कोलकाता में नबान्न (राज्य सचिवालय) और कालीघाट (मुख्यमंत्री निवास) तक विरोध मार्च निकाले जा रहे हैं। धरना, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर-पेंटिंग, और अन्य रचनात्मक माध्यमों से न्याय की मांग को बुलंद किया जा रहा है।
वामपंथी दलों से लेकर नागरिक संगठनों तक, कई मंचों से यह स्पष्ट संदेश दिया जा रहा है कि आरजी कर पीड़िता को न्याय मिले, यही हमारी प्राथमिकता है। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी इस आंदोलन में शामिल हैं, हालांकि बिना किसी राजनीतिक बैनर के।