Nishikant Dubey Controversy: एक बार फिर भारत की राजनीति में उथल-पुथल सी मच गई है। इस बार मामला सुप्रीम कोर्ट और बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के दिय गय विवादित बयान से जुड़ा है। सांसद दुबे की टिप्पणी ने ना सिर्फ सियासी गलियारों में तहलका मचा दिया है, बल्कि अब यह मुद्दा देश की सबसे बड़ी अदालत की चौखट तक भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अगले हफ्ते सुनवाई करने जा रहा है।

Nishikant Dubey Controversy

क्या है पूरा मामला?

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि “अगर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा, तो संसद और विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए।” इसके अलावा उन्होंने CJI (मुख्य न्यायाधीश) संजीव खन्ना पर भी निशाना साधा। दुबे के इस विवादित बयान के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस शुरू हो गई और विवादित पोस्ट लगातार तेजी से वायरल होने लगे।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुई लेटर पिटिशन

इस पूरे विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील नरेंद्र मिश्रा ने लेटर पिटिशन दाखिल की है। उन्होंने अदालत से कहा की इस मामले में जल्द संज्ञान लिया जाए और आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू की जाए। उनका कहना है कि सोशल मीडिया पर न्यायपालिका को लेकर अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां की जा रही हैं, लेकिन केंद्र में बैठी सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही।

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सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई ने इस मामले को सख्ती से लेते हुए कहा है कि अगले हफ्ते इसकी सुनवाई की जाएगी। हालांकि, अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल ने अब तक इस मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी नहीं दी है।

भाजपा का रुख

इस मामले के तूल पकड़ते ही बीजेपी ने भी अपने ही सांसद के बयान से दूरी बना ली है। पार्टी ने स्पष्ट किया कि निशिकांत दुबे के बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री द्वारा सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने पर भी विपक्षी दलों ने हमला बोल दिया है, जिससे भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है।

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विपक्ष का हमला तेज

विपक्षी दलों के नेताओं ने इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। कांग्रेस समेत कई दलों ने बीजेपी पर न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक सांसद का बयान नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है।

अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या रुख अपनाता है। क्या निशिकांत दुबे के बयान पर कोई सख्त कार्रवाई होगी? या फिर यह भी राजनीति की एक और लहर बनकर रह जाएगी? जवाब आने वाला सप्ताह दे सकता है।


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