बांग्लादेश अंतरिम सरकार:- बीते एक साल से हिंसा और अस्थिर राजनीति की मार झेल रहे बांग्लादेश में अंतरिम सरकार को लेकर एक अहम फैसला सामने आया है।

खबरों के अनुसार, अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपने पद से इस्तीफा देने की इच्छा जताई थी, लेकिन एक अचानक बुलाई गई बैठक के बाद यह स्पष्ट कर दिया गया है कि वह फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। अब सभी की नजरें सरकार द्वारा आगामी चुनाव की तारीख और राजनीतिक सुधारों को लेकर किए जाने वाले निर्णयों पर टिकी हैं।

यूनुस के इस्तीफे की अटकलें और बैठक का निष्कर्ष

अंतरिम सरकार में योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने प्रेस से बातचीत में बताया कि यूनुस ने कभी स्पष्ट रूप से इस्तीफे की घोषणा नहीं की। उन्होंने सिर्फ यह कहा कि उन्हें कामकाज में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन वे इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम हैं। वहीदुद्दीन के अनुसार, “सरकार की जिम्मेदारी बेहद अहम है, और हम इस दायित्व से पीछे नहीं हट सकते।”

इस्तीफा क्यों देना चाहते थे यूनुस?

बीते गुरुवार को यूनुस ने नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के नेताओं से बातचीत के दौरान राजनीतिक दलों के बीच आपसी तालमेल की कमी का ज़िक्र करते हुए कार्य करने में मुश्किलें आने की बात कही थी। इसके बाद हुई कैबिनेट मीटिंग में भी उन्होंने इसी भावना को व्यक्त किया था। हालांकि, उनके सहयोगियों ने उन्हें यह पद न छोड़ने की सलाह दी और उनका मनोबल बढ़ाया।

शनिवार की अहम बैठक

शनिवार को ढाका के शेर-ए-बांग्ला नगर में एक महत्वपूर्ण आर्थिक बैठक के बाद, सरकार के 19 सलाहकारों की एक बंद कमरे में चर्चा हुई। इस बैठक में चुनावी सुधार, जुलाई घोषणा पत्र, और आगामी चुनाव की तैयारियों पर विमर्श हुआ। एक सलाहकार, सैयदा रिजवाना हसन, ने कहा कि सरकार का मकसद सिर्फ चुनाव कराना नहीं, बल्कि सुधार और न्याय को लागू करना भी है। वहीं NCP संयोजक नाहिद इस्लाम ने यूनुस से अपील की कि वे देश के भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपने पद पर बने रहें।

राजनीतिक दलों से बातचीत तेज़

मिली जानकारी के अनुसार, यूनुस ने आज शाम को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात का कार्यक्रम तय किया है। बीएनपी नेता अब्दुल मोईन खान और सालाहुद्दीन अहमद का कहना है कि वे चाहते हैं यूनुस जिम्मेदारी से चुनाव कराएं और फिर सम्मानपूर्वक पद छोड़ें। जमात नेता सैयद अब्दुल्ला एम ताहेर ने मांग की है कि दिसंबर से जून के बीच चुनाव हों और राजनीतिक सुधारों पर स्पष्ट रोडमैप घोषित किया जाए।

सेना और सरकार के बीच बढ़ता तनाव

बांग्लादेश की सेना और अंतरिम प्रशासन के बीच दो प्रमुख मुद्दों को लेकर टकराव है— पहला, चुनाव की समयसीमा, जहां सेना चाहती है कि दिसंबर तक चुनाव कराए जाएं। दूसरा, म्यांमार के रखाइन राज्य में राहत पहुंचाने के लिए प्रस्तावित कॉरिडोर, जिस पर सेना को आपत्ति है। कुछ दिन पहले, सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने नौसेना और वायुसेना प्रमुखों के साथ यूनुस से भेंट कर जल्द चुनाव कराने पर जोर दिया था। इसके बाद की बैठक में उन्होंने संकेत दिया कि कई महत्वपूर्ण फैसलों की जानकारी सेना को नहीं दी जा रही है।

बढ़ाई गई सैन्य गतिविधि और निगरानी

राजधानी ढाका समेत कई इलाकों में सेना को विशेष मजिस्ट्रेट शक्तियों के साथ तैनात किया गया है। सड़कों पर सैन्य गश्त बढ़ा दी गई है। पिछले वर्ष जब विरोध प्रदर्शन उग्र हुए थे, तब सेना ने तटस्थ भूमिका निभाई थी और शेख हसीना को देश से बाहर भेजने में सहायता की थी। बाद में यही सेना यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाए जाने के पक्ष में थी।

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वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य

अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार के हटने के बाद से बांग्लादेश की राजनीति पूरी तरह से अस्थिर हो गई है। राजधानी में विरोध प्रदर्शन, छात्र संगठनों, और ट्रेड यूनियनों की गतिविधियां तेज़ हो गई हैं। यूनुस के नेतृत्व में कार्यरत अंतरिम सरकार ने अवामी लीग पार्टी को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया जा चुका है। इधर, बीएनपी जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित करने की मांग कर रही है। पार्टी ने छात्र प्रतिनिधियों को कैबिनेट से हटाने की भी मांग रखी है, जबकि NCP ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर BNP के पक्ष में काम करने का आरोप है।

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निष्कर्ष

बांग्लादेश इस समय एक संवेदनशील राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है। जहां एक ओर चुनावी प्रक्रिया को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर सेना और सरकार के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। ऐसे में यूनुस की अंतरिम सरकार के फैसले देश की स्थिरता, लोकतंत्र की पुनर्स्थापना और भविष्य की राजनीति को गहराई से प्रभावित करेंगे।