नेपाल की राजनीति में नया मोड़:- नेपाल की राजनीति एक बार फिर बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है। केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर चर्चाएँ तेज हो गई हैं। इस बीच पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम संभावित प्रधानमंत्री के तौर पर उभर कर सामने आया है।

नेपाल में बीते दिनों भड़के Gen-Z प्रदर्शनों के बीच 5000 से अधिक युवाओं ने वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में कार्की को सबसे अधिक समर्थन मिला, जिसके बाद उन्हें अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी सौंपने की मांग तेज हो गई है। प्रदर्शनकारी युवाओं का कहना है कि देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए निष्पक्ष नेतृत्व की ज़रूरत है और कार्की इस भूमिका के लिए उपयुक्त चेहरा हैं।

कौन हैं सुशीला कार्की?

सुशीला कार्की नेपाल की पहली और अब तक की एकमात्र महिला मुख्य न्यायाधीश रही हैं। 11 जुलाई 2016 को उन्होंने इस पद की शपथ ली थी और न्यायपालिका में अपने सख्त फैसलों के लिए जानी जाती रही हैं।

उनका जन्म 7 जून 1952 को विराटनगर, नेपाल में हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में उनका भारत से गहरा नाता है। उन्होंने 1975 में काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), वाराणसी से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। यही वजह है कि उनका नाम सामने आने से भारत-नेपाल संबंधों पर भी असर पड़ सकता है।

नेपाल की मौजूदा स्थिति

देश में लगातार बढ़ रहे राजनीतिक संकट और जनाक्रोश के बीच सुशीला कार्की का नाम अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में सामने आना एक अहम घटनाक्रम माना जा रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्चुअल सहमति बैठक में भाग लेने वाले युवाओं में से 2500 से अधिक प्रतिभागियों ने सीधे तौर पर कार्की का समर्थन किया।

यह भी पड़े:- फ्रांस में ‘Block Everything’ आंदोलन से भड़की हिंसा, राष्ट्रपति मैक्रों पर इस्तीफे का दबाव

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो यह नेपाल की राजनीति में एक ऐतिहासिक कदम होगा, क्योंकि यह न केवल महिला नेतृत्व को नई ऊंचाई देगा बल्कि देश की न्यायपालिका से राजनीति में आने का एक अलग उदाहरण भी पेश करेगा।