बिजनौर: जिले के टंडेरा गांव में गुरुवार सुबह एक हृदय विदारक घटना ने पूरे गांव को गमगीन कर दिया। कर्ज से परेशान होकर एक मजदूर पुखराज सिंह ने अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ जहरीला पदार्थ खा लिया। उपचार के दौरान पत्नी रमेशिया (38), बेटी अनीता उर्फ नीतू (17) और छोटी बेटी सविता उर्फ सीटू (13) की मौत हो गई, जबकि पुखराज की हालत गंभीर बनी हुई है और वह मेरठ के एक अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है।

शवों के गांव लौटने के साथ ही मातम पसरा
शाम होते-होते तीनों के शव जैसे ही गांव पहुंचे, शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीण और रिश्तेदार बड़ी संख्या में एकत्र हुए। हर चेहरा शोक और स्तब्धता से भरा हुआ था। एक साथ तीन अर्थियां उठते देख गांव का हर कोना मौन में डूब गया। अंतिम संस्कार के लिए गांव के पास बहने वाली कडूला नदी के तट को चुना गया, जहां रात 11 बजे बेटे सचिन ने अपनी मां और बहनों को मुखाग्नि दी।
गांव ने निभाई जिम्मेदारी, चंदे से हुआ अंतिम संस्कार
पारिवारिक स्थिति बेहद कमजोर होने के कारण अंतिम संस्कार की सारी व्यवस्था गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने मिलकर की। आर्थिक मदद जुटाकर कफन से लेकर लकड़ियों तक की व्यवस्था की गई। गांव ने एकजुटता के साथ इस कठिन समय में जिम्मेदारी निभाई।
न बेटियों से विदाई, न पत्नी का अंतिम दर्शन—अस्पताल में झूझ रहा पिता
पुखराज की स्थिति अब भी नाजुक है। उन्हें यह भी नहीं पता कि उसकी पत्नी और दोनों बेटियों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों का कहना है कि पुखराज शायद अपनी बेटियों और पत्नी का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाएंगे, यह बात सभी को भीतर तक झकझोर रही है।

कर्ज की मार, जो कभी नहीं चुक सका
पुखराज का परिवार खेती की जमीन से वंचित था और आजीविका का एकमात्र सहारा दैनिक मजदूरी थी। बेटी के विवाह के लिए लिया गया कर्ज समय के साथ बढ़ता गया, लेकिन लौटाने के साधन सीमित थे। साहूकारों का दबाव, मूलभूत जरूरतों की पूर्ति की चुनौती और सामाजिक अपेक्षाएं अंततः परिवार पर भारी पड़ गईं।
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निजी त्रासदी नहीं, एक सामाजिक संदेश
यह घटना केवल एक परिवार की व्यक्तिगत पीड़ा नहीं है, बल्कि समाज के उस हिस्से की सच्चाई है जहाँ आर्थिक असुरक्षा, कर्ज का दबाव और सामाजिक अनदेखी जीवन के अस्तित्व को चुनौती देती है। पुखराज का परिवार इस सच्चाई का एक दुखद उदाहरण बन गया।