यूपी में बिजली बिल सुधार अभियान:- उत्तर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश सरकार 17 से 19 जुलाई तक राज्यव्यापी बिजली बिल सुधार महाअभियान शुरू करने जा रही है। इस दौरान उपभोक्ताओं की बिल से जुड़ी तमाम शिकायतों का निस्तारण विशेष शिविरों के माध्यम से किया जाएगा।

बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, तीन दिवसीय इस विशेष अभियान में उपभोक्ताओं के गलत बिल, कनेक्शन में परिवर्तन, लोड बढ़ाने, खराब मीटर बदलवाने, विधा परिवर्तन, और बिल संशोधन जैसी समस्याओं का निपटारा किया जाएगा। साथ ही, जिन उपभोक्ताओं ने बिल जमा कर दिया है लेकिन उसे अपडेट नहीं किया गया है, उनकी समस्याओं का भी समाधान किया जाएगा।
पॉवर कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने बताया कि उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए प्रत्येक जिले और ब्लॉक स्तर पर विशेष हेल्प डेस्क की व्यवस्था की गई है। सभी शिकायतों का पंजीकरण 1912 हेल्पलाइन और शिविरों में किया जाएगा। बिल संशोधन की प्रक्रिया को एक सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश जारी किया गया है।
बिजली की दरों और निजीकरण के खिलाफ विद्युत उपभोक्ता परिषद ने जताई आपत्ति
वहीं दूसरी ओर, राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने महंगी बिजली खरीद और निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि जब तक उपभोक्ताओं का बकाया 33,122 करोड़ रुपये वापस नहीं किया जाता, तब तक बिजली दर बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को तीन भागों में निजी हाथों में सौंपने की योजना पर आपत्ति दर्ज की गई है, जबकि इस संबंध में 11 जुलाई को नियामक आयोग में सुनवाई प्रस्तावित है। परिषद का मानना है कि 2026 तक किसी भी निजीकरण योजना पर विचार करना मौजूदा नियमों के विरुद्ध है।
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राज्य की प्रस्तावित बिजली खरीद योजना के अनुसार, वर्ष 2025-26 में कुल 1.62 लाख मिलियन यूनिट बिजली की खरीद का अनुमान है, जिस पर लगभग 86,952 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें से बड़ी मात्रा में बिजली निजी क्षेत्र से ली जा रही है, जबकि राज्य उत्पादन निगम की बिजली comparatively कम दरों पर उपलब्ध है। इस मसले पर भी परिषद ने सवाल खड़े किए हैं।