हैदराबाद में गुलजार हाउस अग्निकांड:- कभी सुबह की शुरुआत नई उम्मीदों के साथ होती है… लेकिन हैदराबाद के गुलजार हाउस में रविवार की सुबह तबाही बनकर आई। चारमीनार के पास स्थित इस पुराने रिहायशी इलाके में सुबह-सुबह लगी भीषण आग ने एक ही परिवार के 17 सदस्यों की जान ले ली, जिनमें मासूम बच्चे भी शामिल थे।

एक ही खानदान उजड़ गया
इस हादसे में जिनकी जान गई, वे सभी आपस में रिश्तेदार थे और बीते कई पीढ़ियों से इस इलाके में रह रहे थे। सुबह करीब 6:30 बजे जैसे ही आग की खबर फायर ब्रिगेड को मिली, दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुँच गईं। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। स्थानीय अस्पताल ने पुष्टि की कि आग से झुलसे 17 लोगों को मृत अवस्था में लाया गया।
फायर ब्रिगेड का तत्काल एक्शन, लेकिन हालात बेहद नाज़ुक
दमकल अधिकारियों का कहना है कि कॉल मिलते ही उनकी टीम फौरन रवाना हो गई थी। मौके पर कई लोग बेहोश पाए गए, जिन्हें तत्काल अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया। हालांकि, घायलों में से अधिकांश को बचाया नहीं जा सका।
मुख्यमंत्री और नेताओं की प्रतिक्रियाएं
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने घटना पर गहरा शोक जताया है और अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत और बचाव कार्य में कोई कमी न रहे। उन्होंने घायलों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सभी इंतज़ाम करने को कहा है।
कांग्रेस सांसद अनिल कुमार यादव ने भी बताया कि मुख्यमंत्री मृतकों के परिजनों के संपर्क में हैं और लगातार हालात पर नज़र बनाए हुए हैं। वहीं AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी घटना पर दुख जताते हुए कहा कि यह इलाका 125 वर्षों से एक ही परिवार की जड़ों से जुड़ा रहा है और इस हादसे में उनका लगभग पूरा परिवार उजड़ गया।
शॉर्ट सर्किट बना हादसे की वजह
परिवहन मंत्री और हैदराबाद जिले के प्रभारी मंत्री पोन्नम प्रभाकर ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद मीडिया को जानकारी दी कि हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट बताई जा रही है। हालांकि, किसी साजिश की आशंका को फिलहाल नकारा गया है और मामले की गहन जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
20 से अधिक लोग अस्पतालों में भर्ती, पूरे इलाके में मातम
हादसे के बाद करीब 20 लोगों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। कुछ लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। पूरे इलाके में मातम पसरा है, हर चेहरा ग़मगीन और हर आंख नम है।
एक बड़ा सवाल… क्या इन हादसों से कोई सबक लिया जाएगा?
यह हादसा सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की त्रासदी है। आज सवाल उठता है कि क्या पुराने इलाकों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है? क्या हर घर सुरक्षित है?
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यह सिर्फ एक घटना नहीं, एक चेतावनी है।
जीवन अनमोल है — और हर हादसा हमें याद दिलाता है कि सुरक्षा में ज़रा सी चूक कितनी भारी पड़ सकती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार अब इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी, ताकि किसी और की सुबह इस तरह मातम में ना बदले।