काशीपुर का अभूतपूर्व बंद:- जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के खिलाफ आज पूरा काशीपुर शहर एक सुर में गूंज उठा। आतंकियों द्वारा 27 निर्दोष पर्यटकों की निर्मम हत्या के विरोध में शहर में अभूतपूर्व बंद देखने को मिला। न कोई व्यापार खुला, न कोई दुकान हर गली, हर चौक आतंक के खिलाफ जनआक्रोश और एकजुटता की मिसाल बन गया काशीपुर |

बंद में दिखा जनसमर्थन, हर व्यापारी और नागरिक बना हिस्सा
यह बंद किसी संगठन की अपील मात्र नहीं था, यह जनता का आत्मसंकल्प था। व्यापार मंडल, सामाजिक व राजनीतिक संगठनों द्वारा आहूत इस बंद को हर तबके से समर्थन मिला। छोटे से लेकर बड़े कारोबारी तक सभी ने अपनी दुकानें बंद रखीं और इस क्रूर हमले के खिलाफ अपनी आवाज उठाई । लोगों की आँखों में ग़ुस्सा था, लेकिन उसमें साथ ही एकजुटता और दृढ़ संकल्प भी साफ झलक रहा था।
किला बाजार से उठी आवाजें: पाकिस्तान मुर्दाबाद, आतंकवाद खत्म हो
बंद के दौरान एक विशाल आक्रोश रैली का आयोजन किया गया, जिसकी अगुवाई विधायक त्रिलोक सिंह चीमा और मेयर दीपक बाली ने की। रैली किला बाजार से शुरू हुई और नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई पूरे शहर में एक जोश और देशभक्ति की लहर लेकर चली। रैली के दौरान ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ और ‘आतंकवाद हाय-हाय’ के नारों से वातावरण गूंज उठा।
रैली में समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली — व्यापारी, वकील, डॉक्टर, पूर्व सैनिक, राजनेता और आम नागरिक — सभी एक मंच पर थे, एक ही भावना के साथ।

“भारत कभी आतंक के सामने नहीं झुकेगा”: मेयर बाली का दृढ़ संदेश
रैली को संबोधित करते हुए मेयर दीपक बाली ने कहा,
“यह हमला सिर्फ उन 27 मासूमों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर था। लेकिन काशीपुर की जनता ने जिस तरह से एकजुट होकर इसका जवाब दिया है, वह दर्शाता है कि भारत आतंक के आगे कभी झुकने वाला नहीं है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कड़े रुख की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे हमलों का जवाब अब और भी कठोर तरीके से दिया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस बंद ने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि हर भारतीय नागरिक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट है।
सैकड़ों चेहरे, एक ही भावना — राष्ट्र सर्वोपरि
इस मौके पर व्यापार मंडल अध्यक्ष प्रभात साहनी, उपाध्यक्ष जतिन नरूला, एडवोकेट केके अग्रवाल, पूर्व मेयर उषा चौधरी, कांग्रेस नेता मुशर्रफ हुसैन, डॉक्टर एम. राहुल, एडवोकेट प्रशांत वर्मा, एडवोकेट हरीश सिंह, समाजसेवी सुरजीत ग्रोवर, अलका पाल, ब्रह्मा सिंह पाल, मोबिन खान और दर्जनों भूतपूर्व सैनिक मौजूद रहे। सभी का एक ही संदेश था — “अब आतंक को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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काशीपुर बना साहस और एकता का प्रतीक
आज का दिन सिर्फ एक बंद नहीं था। यह काशीपुर की आत्मा की आवाज थी, जिसने बता दिया कि जब बात देश की अखंडता की हो, तो हर दिल एक साथ धड़कता है। काशीपुर का यह ऐतिहासिक बंद अब एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है, पूरे देश के लिए, एकजुटता, साहस और राष्ट्रप्रेम का।
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