बिहार चुनाव से पहले EC की बड़ी पहल:- आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले चुनाव आयोग मतदाता सूची की पारदर्शिता और शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। आयोग घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन अभियान चलाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यदि यह योजना अमल में लाई जाती है, तो यह न केवल वोटिंग प्रक्रिया को अधिक भरोसेमंद बनाएगी बल्कि फर्जी वोटिंग की संभावना को भी काफी हद तक कम कर देगी।

क्यों लिया जा रहा यह निर्णय?
पिछले कुछ वर्षों में मतदाता सूची को लेकर कई बार विवाद उठ चुके हैं। अनेक राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने शिकायत की है कि कई योग्य मतदाताओं के नाम सूची से गायब हैं, जबकि कुछ नाम बिना सत्यापन के जोड़े गए हैं। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
इन आरोपों पर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि मतदाता सूची में संशोधन की पूरी प्रक्रिया तय मानकों और सभी राजनीतिक दलों की निगरानी में पारदर्शी तरीके से की जाती है। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया किसी भी पक्ष को लाभ पहुंचाने के इरादे से नहीं की जाती, और लगाए जा रहे आरोप निराधार हैं।
सत्यापन प्रक्रिया कैसी होगी?
चुनाव आयोग की प्रस्तावित योजना के तहत प्रत्येक घर पर जाकर मतदाता की जानकारी की पुष्टि की जाएगी। इसमें नाम, पता, उम्र और फोटो की जांच की जाएगी।
- जिन मतदाताओं के नाम गलती से सूची से हटाए गए हैं, उन्हें दोबारा जोड़ा जाएगा
- नए पात्र नागरिकों का नाम जोड़ा जाएगा
- मृत और स्थानांतरित हो चुके व्यक्तियों के नाम हटाए जाएंगे
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यह व्यापक सत्यापन अभियान बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने के उद्देश्य से किया जाएगा। ऐसी प्रक्रिया आखिरी बार 2004 में बड़े पैमाने पर लागू की गई थी।
चुनावी माहौल गर्म, सूची पर सबकी नजर
राज्य में चुनावी माहौल पहले से ही गरमाया हुआ है। वर्तमान में एनडीए गठबंधन — जिसमें जनता दल (यू), भारतीय जनता पार्टी और हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा शामिल हैं — सत्ता में है। दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के साथ कई अन्य दल विपक्ष की भूमिका में हैं और लगातार मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।
ऐसे में चुनाव आयोग की यह तैयारी आगामी चुनावों को निष्पक्ष और भरोसेमंद बनाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।