लोकसभा में हंगामा: नई दिल्ली लोकसभा में मंगलवार को 2 सांसदों के बीच एक बड़ा हंगामा हुआ, जब तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद कल्याण बनर्जी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और अन्य मंत्रियों पर तीखे सवाल उठाए। इस हंगामे ने न केवल संसद का माहौल गरमाया, बल्कि नेताओं के बीच भी शब्दों की जंग शुरू हो गई।

मनरेगा पर सवाल और मंत्री पर सवाल उठाना

कल्याण बनर्जी ने सवाल पूछा, “क्या यह मंत्री हैं? आपको मंत्री किसने बनाया?” इस दौरान कल्याण बनर्जी ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मनरेगा के टॉपिक पर सवाल कर रहे थे, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल को मनरेगा के तहत धनराशि सही तरीके से नहीं मिल रही है।

उन्होंने कहा, “हम पिछले तीन सालों से यह सवाल पूछ रहे हैं कि मनरेगा का लाभ बंगाल तक क्यों नहीं पहुंच रहा। लेकिन मंत्री के पास सिर्फ एक ही जवाब है, लेकिन यह मामला इससे कहीं बड़ा है। बनर्जी ने आगे कहा कि अगर इसमें फर्जी कार्ड और भ्रष्टाचार हैं, तो मंत्री दोषियों को क्यों गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं?

गिरिराज सिंह से भिड़ंत

कल्याण बनर्जी के सवालों का जवाब देने के बजाय, जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बीच में बोलना शुरू किया, तो बनर्जी और भी प्रफुल्लित हो गए। उन्होंने फिर गिरिराज सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, “गिरिराज सिंह यह सही बात नहीं है। आप केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन इस तरह से बर्ताव कर रहे हैं। यह क्या है?

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उनकी यह टिप्पणी सत्ता पक्ष के सांसदों को बुरी तरह से चिढ़ा गई और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। केंद्रीय संसदीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से कहा कि जब किसी सदस्य को प्रश्न पूछने की अनुमति दी जाती है, तो वह इस प्रकार की टिप्पणियां कैसे कर सकता है?

लोकसभा अध्यक्ष का हस्तक्षेप

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बातचीत को संभालते हुए TMC सांसद कल्याण बनर्जी को सलाह दी कि वे इस तरह की व्यक्तिगत टिप्पणियों करने से बचें। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “सदन में किसी भी टॉपिक पर बात करते समय शब्दों का चयन सोच-समझकर करें। आपस में इस तरह की टिप्पणियों का आदान-प्रदान ठीक नहीं है।

उनका कहना था कि यह तरीका उचित नहीं है और हर सदस्य को सभ्यता के साथ व्यवहार करना चाहिए। जब विपक्ष ने मंत्रियों के लिए भी यही निर्देश देने की बात की, तो बिरला ने कहा, “किसे क्या कहना है, यह मैं तय करूंगा।

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क्या है पश्चिम बंगाल का मनरेगा विवाद?

कल्याण बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में केंद्र की टीमों ने जांच करने के दौरान राज्य की योजनाओं को बदनाम किया और जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य की मनरेगा धनराशि रोक दी गई। “यह मोदी सरकार है, जो भ्रष्टाचार को सहन नहीं करेगी। लेकिन जब तक न्याय नहीं मिलता, हम इसका विरोध करेंगे,” बनर्जी ने कहा।

उन्होंने आगे आरोप लगाया कि जब टेंडर हुआ तो उसे छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दिया गया और राज्य सरकार की योजनाओं में अभद्रता की गई।

निष्कर्ष

लोकसभा में हुई यह तीखी बहस दर्शाती है कि मनरेगा जैसे बड़े मुद्दे पर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। जहां एक ओर TMC सांसद अपने राज्य के अधिकारों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं सत्ता पक्ष का यह कहना है कि किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि देश के लाखों लाभार्थियों के लिए महत्वपूर्ण सवाल भी खड़ा कर रहा है: क्या वाकई में मनरेगा का लाभ सभी राज्यों तक सही तरीके से पहुंच रहा है, या कहीं न कहीं भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हैं जो इस योजना के उद्देश्य को नकार रही हैं?

आखिरकार, यह संघर्ष और विवाद यह साबित करते हैं कि भारतीय राजनीति में हर मुद्दा एक नई जंग का कारण बन सकता है।