ईरान को रूस का खुला समर्थन:- ईरान और इस्राइल के बीच लगातार गहराते तनाव के बीच रूस ने अपने रुख को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया है। सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तेहरान को हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है। यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर की गई कार्रवाई ने पश्चिम एशिया में हालात को और अधिक संवेदनशील बना दिया है।

पुतिन ने मॉस्को में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची से मुलाकात के दौरान कहा कि मौजूदा हालात बेहद नाजुक हैं और रूस इस संकट की घड़ी में ईरान के साथ खड़ा है। उन्होंने अमेरिकी हमलों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे कदम क्षेत्रीय शांति के लिए घातक हैं।

क्रेमलिन की सख्त प्रतिक्रिया

रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भी इस पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रूस, ईरान की हर आवश्यकता के अनुसार सहायता देने को तैयार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि तेहरान को क्या मदद चाहिए, यह निर्णय पूरी तरह ईरान के अधिकार क्षेत्र में है। पेसकोव ने यह भी बताया कि रूस ने इस मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश की है, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बहाल की जा सके।

तीसरे विश्व युद्ध की आहट?

ईरान और इस्राइल के बीच करीब 10 दिनों से जारी टकराव ने वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है। अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद स्थिति और अधिक गंभीर हो गई है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों को निशाना बनाकर हमला किया, जिससे पूरे क्षेत्र में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई है।

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रूसी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर रणनीतिक सहयोग देने को भी तैयार है। पेसकोव ने कहा कि रूस ने इस तनाव पर अपना पक्ष अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्पष्ट रूप से रखा है, और यह भी ईरान के प्रति समर्थन का प्रतीक है।

राजनयिक प्रयासों पर जोर

राष्ट्रपति पुतिन ने ईरानी जनता के साथ एकजुटता जताते हुए कहा कि रूस संकट समाधान की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहा है। उन्होंने आशा जताई कि ईरानी विदेश मंत्री के साथ उनकी बातचीत से दोनों देशों को एक साझा समाधान निकालने में मदद मिलेगी।

अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर नजर

गौरतलब है कि ईरान, इस्राइल और अमेरिका के बीच यह तनाव ऐसे समय में बढ़ा है जब वैश्विक मंच पहले से ही कई संघर्षों से जूझ रहा है। ऐसे में रूस का यह समर्थन न केवल पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए भी एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।

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