तेजस्वी यादव का नया सियासी दांव: बिहार राज्य की राजनीति एक बार फिर गरमा चुकी है। जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, मुद्दों की नई सूची तैयार हो रही है। इसी दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने होने जा रही जातिगत जनगणना को लेकर बड़ा बयान दिया है। सोशल मीडिया पर उनके पोस्टर और ट्वीट ने एक नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है।

तेजस्वी यादव का ट्वीट
तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में लिखा: “जातिगत जनगणना तो सिर्फ एक शुरुआत है, पिक्चर अभी बाकी है।” यह बयान न केवल एक सियासी संदेश है, बल्कि उनके भविष्य की रणनीति की झलक भी देता है। पोस्टर के साथ साझा किए गए प्वाइंट्स में उन्होंने सामाजिक न्याय और आरक्षण से जुड़े कई अहम मुद्दे उठाए हैं।
तेजस्वी की मांगें
तेजस्वी यादव ने साफ तौर पर X [पर एक पोस्टर पोस्ट करते हुए कहा कि जातिगत जनगणना सिर्फ शुरुआती कदम है। उनके अनुसार, इसके आधार पर समाज के पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों को उनका हक़ मिलना चाहिए। उन्होंने जो मांगे रखीं, वे इस प्रकार हैं:
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- पिछड़े/अति पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र
- निजी क्षेत्र में आरक्षण की व्यवस्था
- ठेकेदारी व्यवस्था में आरक्षण
- न्यायपालिका में आरक्षण
- मंडल कमीशन की बची हुई सिफारिशों को लागू करना
- जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण देना
- बिहार को विशेष राज्य का दर्जा
- बिहार के लिए विशेष आर्थिक पैकेज की मांग
जातिगत जनगणना तो शुरुआत है, पिक्चर अभी बाक़ी है:-
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) May 2, 2025
• पिछड़ों/अति पिछड़ों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र
• निजी क्षेत्र में आरक्षण
• ठेकेदारी में आरक्षण
• न्यायपालिका में आरक्षण
• मंडल कमीशन की शेष सिफारिशों को लागू करेंगे
• आबादी के अनुपात में आरक्षण देंगे
• बिहार के… pic.twitter.com/fGOacT8pK2
बीजेपी पर सीधा हमला: “बाद में हमारे एजेंडे को मास्टर स्ट्रोक कहेंगे”
तेजस्वी यादव ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए लिखा:
“संघी और भाजपा के लोग हमें गाली देंगे, लेकिन बाद में बेशर्मी से हमारे ही एजेंडे को ‘मास्टर स्ट्रोक’ कहेंगे। कितने खोखले हैं ये लोग!”
तेजस्वी यादव का यह बयान साफ़ बताता है कि वे अब किसी भी तरह की चुप्पी या रक्षात्मक रवैये में नहीं हैं। वह खुलकर हमलावर भूमिका में नजर आ रहे हैं।
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चुनावी पिच पर तेजस्वी का बड़ा दांव
जातिगत जनगणना पहले से ही एक संवेदनशील और अहम मुद्दा रहा है, लेकिन तेजस्वी यादव ने इसे एक राजनीतिक हथियार में बदलने की कोशिश की है। उनकी रणनीति साफ है — वोटरों से भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर जुड़ाव बनाना।
क्या जनता इस ‘नई पिक्चर’ को पसंद करेगी?
अब सवाल यह है कि क्या तेजस्वी की ये रणनीति चुनावी मैदान में रंग लाएगी? या विपक्ष उनके इस ‘स्क्रिप्टेड मास्टरप्लान’ को पलटने में कामयाब होगा?
अगले कुछ हफ्ते बिहार की राजनीति के लिए बेहद दिलचस्प होने वाले हैं। क्योंकि तेजस्वी साफ कह चुके हैं – “पिक्चर अभी बाकी है!
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