Jain Temple Demolition: मुंबई के विलेपार्ले इलाके में स्थित करीब 90 साल पुराने पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर को बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) द्वारा ढहाए जाने के बाद, देशभर में जैन समाज में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इस कई साल पुराने ऐतिहासिक मंदिर को 16 अप्रैल को गिराया गया, जिससे न केवल श्रद्धालु आहत हुए हैं, बल्कि यह मुद्दा अब एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक विमर्श बन चुका है।

विरोध में उठी शांतिपूर्ण आवाज़ — सर्वदलीय रैली में जनसमर्थन
शनिवार की सुबह मुंबई की सड़कों पर एक अलग ही नज़ारा देखनो को मिला था। लोगो के हाथों में शांति और न्याय के पोस्टर, और दिलों में आस्था और अधिकार की मांग। हजारों की तादाद में जैन समाज के लोग, साधु-संत, सामाजिक कार्यकर्ता और सभी राजनीतिक दलों के नेता विलेपार्ले की सड़कों पर एकजुट नज़र आए।
मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा, विधायक पराग अलवाणी सहित कई प्रमुख हस्तियों ने इस अहिंसक रैली में हिस्सा लिया और बीएमसी की इस कार्रवाई की निंदा की।
“हमारा मंदिर, हमारी आस्था” — ट्रस्टी की भावुक प्रतिक्रिया
तोड़े गए जैन मंदिर ट्रस्ट के सदस्य अनिल शाह ने बताया कि यह मंदिर 1960 के दशक में बना था और इसे बीएमसी की अनुमति से ही जीर्णोद्धार किया गया था। उन्होंने दावा किया कि इस संबंध में सरकार की ओर से स्पष्ट निर्देश हैं कि ऐसी पुरानी धार्मिक संरचनाओं को नियमित किया जा सकता है, और उन्होंने उसी आधार पर प्रस्ताव भी बीएमसी को सौंपा था।
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“न्याय से पहले कार्रवाई क्यों?” — कोर्ट सुनवाई से पहले गिराया गया मंदिर
सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि जैन मंदिर गिराने की यह कार्रवाई बॉम्बे हाईकोर्ट की सुनवाई से एक दिन पहले की गई। जैन समाज के लोगो ने जब मंदिर को गिराए जाने का नोटिस मिलने के बाद अदालत का रुख किया था, तब उम्मीद थी कि प्रशासन न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करेगा। लेकिन इसके उलट, BMC ने हाईकोर्ट के निर्णय का इंतजार किए बिना ही मंदिर को तोड़ दिया।
सरकार और बीएमसी पर गंभीर सवाल
जैन समाज का यह भी कहना है कि जब मुंबई नगर निगम का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और फिलहाल इसकी कमान राज्य सरकार के पास है, तो इस प्रकार की जल्दबाज़ी और संवेदनहीनता समझ से परे है।
इस पूरे घटना को लेकर जैन समाज दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है। साथ ही एक पारदर्शी जांच की भी अपील की जा रही है, ताकि भविष्य में आस्था के स्थानों के साथ इस तरह का अन्याय न हो।
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“हम शांत हैं, पर कमजोर नहीं” — जैन समाज की दृढ़ चेतावनी
जैन धर्म अहिंसा और शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन हुए इस पूरे घटनाक्रम ने समुदाय की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचाई है। जैन समाज लोगो ने साफ कहा है कि वे न्याय की उम्मीद के साथ लोकतांत्रिक और संवैधानिक रास्ता अपनाएंगे, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो देशभर में व्यापक आंदोलन की दिशा में भी कदम बढ़ाएंगे।
क्या आगे आएगा कोई समाधान?
यह मुद्दा अब सिर्फ एक धार्मिक संरचना का नहीं, बल्कि जैन समाज के लोगो की आस्था, प्रशासनिक जिम्मेदारी और संवैधानिक मर्यादा का बन चुका है। अब देखना होगा कि सरकार और BMC इस पर क्या रुख अपनाते हैं। क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी? क्या टूटे हुए मंदिर की भरपाई संभव है? और सबसे अहम — क्या न्याय मिलेगा?
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