ईरान-इस्राइल संघर्ष:- पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर है। ईरान और इस्राइल के बीच जारी सैन्य संघर्ष ने अब वैश्विक चिंताओं को जन्म दे दिया है। जहां एक ओर इस्राइल ने अपने हवाई क्षेत्र को पूरी तरह बंद कर दिया है, वहीं ईरान ने इस्राइली शहरों पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर दी है। इस पूरे घटनाक्रम में अमेरिका भी खुलकर मैदान में उतर आया है और उसने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर हवाई हमले कर दिए हैं। इससे पहले युद्धविराम को लेकर जिनेवा में हुई शांति वार्ता विफल रही

865 लोगों की मौत, हजारों घायल

ईरानी मीडिया और वॉशिंगटन स्थित मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, इस्राइली हमलों में अब तक 865 लोगों की जान जा चुकी है और 3,396 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों में बड़ी संख्या आम नागरिकों और सुरक्षाबलों की है। यह हमला ईरान के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

ईरान का जवाबी हमला: मिसाइलें बरसीं इस्राइल पर

अमेरिकी के हमलों के तुरंत बाद ईरान ने आक्रामक रुख अपनाते हुए इस्राइल के विभिन्न ठिकानों पर मिसाइलें दागीं। हाइफा जैसे बड़े शहर में धमाकों की आवाजें गूंज उठीं। इस्राइल डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, ईरान ने एक साथ 20 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं। इसी के चलते पूरे देश में अलर्ट जारी कर दिया गया।

अमेरिकी हमलों के बाद परमाणु रेडिएशन नहीं

ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने जानकारी दी कि जिन ठिकानों पर अमेरिका ने हमला किया है, वहां से कोई रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ है। यह भी कहा गया कि इन हमलों से देश का परमाणु कार्यक्रम प्रभावित नहीं होगा और उसे जारी रखा जाएगा।

हवाई मार्गों में बदलाव, इस्राइल का एयरस्पेस सील

संघर्ष की गंभीरता को देखते हुए कई इंटरनेशनल एयरलाइनों ने ईरानी हवाई क्षेत्र से उड़ानें बंद कर दी हैं। फ्लाइटरडार24 के अनुसार, विमानों के रूट अब कैस्पियन सागर या सऊदी-मिस्र के रास्ते बदले जा रहे हैं। इस्राइली हवाई अड्डा प्राधिकरण ने अपने एयरस्पेस को अस्थायी रूप से बंद करने का निर्णय लिया है।

अमेरिका में हाई अलर्ट, NYPD ने बढ़ाई सुरक्षा

ईरान पर अमेरिकी हमलों के बाद न्यूयॉर्क, वाशिंगटन और लॉस एंजेलिस जैसे प्रमुख शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। धार्मिक, राजनयिक और सांस्कृतिक स्थलों के आसपास अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। अमेरिकी एजेंसियों ने कहा है कि वर्तमान में कोई प्रत्यक्ष खतरा नहीं है, लेकिन एहतियात के तौर पर निगरानी कड़ी कर दी गई है।

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ईरान ने IAEA पर लगाया मिलीभगत का आरोप

ईरान ने एक कड़े बयान में कहा कि अमेरिका द्वारा उसके परमाणु ठिकानों पर हमला IAEA (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की चुप्पी और मिलीभगत का नतीजा है। उन्होंने इसे एनपीटी (NPT) और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया और कहा कि यह हमले अस्वीकार्य हैं।

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विशेषज्ञों की राय: यह निर्णायक क्षण है

पूर्व अमेरिकी ट्रेजरी अधिकारी और आतंकवाद वित्त विश्लेषक जोनाथन शैन्जर के मुताबिक, ईरान की वायु सेना, हवाई सुरक्षा और परमाणु सुविधाएं काफी हद तक नष्ट हो चुकी हैं। उनका मानना है कि यदि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो अमेरिका की प्रतिक्रिया बेहद आक्रामक होगी, जिससे संघर्ष और भी भड़क सकता है।

भारत के लिए सतर्कता जरूरी

रक्षा विशेषज्ञ प्रफुल बख्शी के अनुसार, भारत के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। ईरान और इस्राइल दोनों भारत के रणनीतिक साझेदार हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री मोदी इस संकट को शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में ले जाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

नोट: इस लेख में दी गई जानकारी Amar Ujala, Reuters, The Guardian जैसे विश्वसनीय समाचार स्रोतों में प्रकाशित खबरों पर आधारित है। इसका उद्देश्य पाठकों को सूचित करना है, न कि किसी पक्ष का समर्थन या विरोध करना।