ऑपरेशन ‘मिडनाइट हैमर:- ईरान-अमेरिका तनाव के बीच रविवार तड़के अमेरिकी सैन्य कार्रवाई ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। ‘ऑपरेशन मिडनाइट हैमर’ नाम से हुई इस गोपनीय कार्रवाई में अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु केंद्रों को बेहद सटीकता से निशाना बनाते हुए उन्हें पूरी तरह से निष्क्रिय करने का दावा किया।

25 मिनट का मिशन, लेकिन रणनीति महीनों पुरानी
यह ऑपरेशन केवल 25 मिनट तक चला, लेकिन इसकी तैयारी कई हफ्तों से चल रही थी। अमेरिका के रक्षा विभाग (पेंटागन) ने पुष्टि की है कि इस कार्रवाई में 125 से अधिक एडवांस फाइटर जेट, बमवर्षक और खुफिया विमान शामिल थे। खास बात यह रही कि बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने इस मिशन को अंजाम दिया—जो मिसौरी बेस से उड़कर आए थे और उन्होंने 30,000 पाउंड वजनी बंकर-बस्टर बम गिराए।

टारगेट थे ईरान के परमाणु केंद्र
हमले का मुख्य फोकस ईरान के फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकाने थे। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों का कहना है कि ये सभी स्थल ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ माने जाते हैं। जनरल डैन केन के मुताबिक, “हमारा मकसद केवल परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाना था, न कि आम नागरिकों को।”
अमेरिका की ओर से आया कड़ा संदेश
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया, “यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक संदेश है—अगर ईरान ने शांतिपूर्ण मार्ग नहीं अपनाया, तो अमेरिका पीछे नहीं हटेगा।” उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निर्देश पर यह ऑपरेशन किया गया, जिसमें “स्पष्ट निर्देश” थे कि आम नागरिकों या सैनिकों को नुकसान नहीं होना चाहिए।
इस्राइल की भी भूमिका
इस हाई-लेवल मिलिट्री ऑपरेशन में अमेरिका का रणनीतिक सहयोगी इजरायल भी शामिल था। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्राइल ने इस हमले की तैयारी और खुफिया जानकारी में अहम भूमिका निभाई। ऑपरेशन के दौरान ‘डिसेप्शन’ यानि भ्रम फैलाने की रणनीति अपनाई गई ताकि ईरान को असली दिशा और समय का अंदाजा न हो सके।
पहली बार अमेरिका ने 30,000 पाउंड वजनी बंकर-बस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जो भूमिगत परमाणु ठिकानों को नष्ट करने में सक्षम हैं। इन बमों की क्षमता MOP (Massive Ordnance Penetrator) जैसी मानी जा रही है, हालांकि आधिकारिक पुष्टि में इसका नाम स्पष्ट रूप से नहीं लिया गया।
यह भी पड़े:- बिहार चुनाव से पहले EC की बड़ी पहल: घर-घर जाकर मतदाता सत्यापन की योजना पर विचार
क्यों जरूरी था यह ऑपरेशन?
रक्षा मंत्री हेगसेथ के अनुसार, यह कदम अमेरिका की सुरक्षा और पश्चिम एशिया में स्थायित्व बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया। हाल के महीनों में ईरान की गतिविधियाँ अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए चिंता का विषय बन चुकी थीं।