ईवीएम: लोकसभा चुनाव 2024 के तहत पहले चरण की वोटिंग शुरू होने में अब 24 घंटे से भी कम वक्त बचा है. वोटिंग से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट में EVM मशीन की प्रमाणिकता को लेकर सुनवाई जारी है भारतीय चुनाव प्रणाली में EVM (Electronic Voting Machines) का महत्वपूर्ण स्थान है, और हाल ही में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में यह दावा किया है कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता है और न ही इसे छेड़ा जा सकता है।
ईवीएम का विवादित मुद्दा लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। कई वर्गों में यह मान्यता है कि EVM को हैक किया जा सकता है और इसे छेड़ा जा सकता है, जिससे चुनाव परिणाम पर प्रभाव पड़ सकता है। इसके खिलाफ जारी आंदोलनों और विवादों के बीच, चुनाव आयोग ने ईवीएम की सुरक्षा पर संदेह दूर करने के लिए कठोर सुरक्षा उपायों की प्रक्रिया को निरंतर सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया है।
चुनाव आयोग के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि ईवीएम को हैक करना या इसे छेड़ना संभव नहीं है, क्योंकि इसमें कई सुरक्षा उपाय शामिल हैं। इन उपायों में डिजिटल स्पोफिंग की रोकथाम, फिजिकल सुरक्षा, और पेपर ऑडिट ट्रेल जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो ईवीएम को अगर भी किसी प्रकार से प्रभावित करने की कोशिश की जाए, तो इसे पता लगाने में मदद करती हैं।
EVM पर सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग के द्वारा दिए गए इस स्पष्ट जवाब ने चुनाव प्रक्रिया में विश्वास को मजबूती दी है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे जनता को चुनाव प्रक्रिया में पूरा विश्वास रहेगा।
electronic voting machines से छेड़छाड़ की खबरें झूठी’
वरिष्ठ उप निर्वाचन आयुक्त नीतेश कुमार व्यास ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच से कहा, ‘‘ये खबरें गलत हैं. हमने जिलाधिकारी से आरोपों की पड़ताल की है और यह बात सामने आई है कि ये गलत हैं. हम अदालत में विस्तार रिपोर्ट जमा करेंगे.’’ प्रसार पीठ को ईवीएम की कार्यशैली के बारे में बताने के लिए अदालत में उपस्थित थे. अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने इस मुद्दे को उठाया था. याचिका कर्ता NGO Association for Democratic Reforms की ओर से भूषण ने कोर्ट में कहा कि इस तरह की खबरें हैं कि ईवीएम ‘मॉक पोल’ की कवायद के दौरान एक अतिरिक्त वोट दर्शा रही थीं.
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