जब से भाजपा की सरकार दिल्ली में बनी है जबसे कोई न कोई मामले सामने आते रहते हैं, अब दिल्ली विधानसभा में गुरुवार के दिन उस वक्त हंगामा हुआ जब दिल्ली के बीजेपी कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने पूर्व दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को ‘भाई’ कह दिया। इस बयान पर आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों ने तीखी आपत्ति व्यक्त की, जिस कारण विधानसभा सदन में बहस गरमा गई। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और मार्शलों की मदद से आप के विधायक कुलदीप कुमार और विशेष रवि को सदन से बाहर करवाना पड़ा।

कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
छठ पूजा से सम्बंधित एक सवाल को लेकर जवाब में कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा की, “कहां से लाते हो भाई?” (ये सब कहां से लाते हो, भाई?)। इस पर AAP विधायकों ने विरोध ज़ाहिर किया और आरोप लगाया कि यह बयान आतिशी के लिए था और यह असम्मानजनक है।
प्रवेश वर्मा ने अपनी सफाई देते हुए कहा, “‘भाई’ शब्द में क्या आपत्ति है? आतिशी जी मेरी बहन जैसी हैं, भाई नहीं। मैं बस अपनी बात स्पष्ट कर रहा था ताकि सभी को समझ में आ जाए।” हालांकि, उनकी सफाई के बावजूद सदन का माहौल शांत नहीं हुआ और हंगामा जारी रहा।
धार्मिक आयोजनों पर सरकार की नीति
विधानसभा में इस विवाद के बीच प्रवेश वर्मा ने दिल्ली में धार्मिक आयोजनों के लिए सरकारी सहायता पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार 1994 से पूजा-पाठ आयोजनों के लिए आर्थिक सहायता देती आ रही है, जब बीजेपी के मदन लाल खुराना मुख्यमंत्री थे।
“यह योजना तभी शुरू हुई थी और जुलाई 1995 में इसका नाम बदल दिया गया। इस साल, इस मद में 55 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं,” वर्मा ने बताया। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि पिछली सरकारों की तरह इसमें कोई फर्जी बिलिंग नहीं होगी।
अवैध मीट दुकानों पर भी छिड़ी बहस
विधानसभा सत्र के दौरान अवैध मीट की दुकानों का मुद्दा भी उठा। बीजेपी विधायक कर्नैल सिंह ने फुटपाथ और मंदिरों के आस-पास खुले में बेचे जा रहे मीट पर भी अपनी चिंता व्यक्त की, खासकर नवरात्रि के को देखते हुए। उन्होंने मांग की कि इन अवैध दुकानों को तत्काल हटाया जाए।
इस मुद्दे पर मंत्री प्रवेश वर्मा ने कहा कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि अवैध रूप से चल रही मीट की दुकानों को हटाया जाए। उन्होंने कहा “दिल्ली में किसी भी तरह का अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विधायक अपने-अपने क्षेत्रों में अतिक्रमण की सूची दें, ताकि इस पर कार्रवाई की जा सके,”
जो सत्र नीति-निर्धारण और मुद्दों पर चर्चा के लिए था, वह तीखी बहस और टकराव का मंच बन गया। जहां सरकार ने धार्मिक आयोजनों और अतिक्रमण के खिलाफ अपनी नीति स्पष्ट की, वहीं ‘भाई’ शब्द ने पूरे दिन की कार्यवाही को हंगामेदार बना दिया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा यहीं थम जाएगा या आगे भी राजनीतिक बहस को बढ़ावा देगा।
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