दिल्ली MCD में किस दल का होगा मेयर,

दिल्ली MCD में किस दल का होगा मेयर, :- दिल्ली MCD चुनाव के नतीजे लगभग चुके हैं. इन नतीजों में आम आदमी पार्टी 122 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में सामने आई है. भारतीय जनता पार्टी 107 सीटों पर आगे चल रही है. कांग्रेस पार्टी दहाई का आंकड़ा भी नहीं पार कर सकी. लेकिन कांग्रेस 7 सीटों पर आगे है. 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की.

दिल्ली MCD में किस दल का होगा मेयर,

अरविंद केजरीवाल के जरियें आम आदमी पार्टी एमसीडी में 15 सालों का इतिहास बदला और MCD में काबिज होने जा रही है. एक तरफ जहां आम आदमी पार्टी जीत का आंकड़ा हासिल कर चुकी है, वहीं दूसरी तरफ बीजेपी नेता अभी भी नगर निगम में मेयर होने का दावा कर रहे हैं. बीजेपी नेताओं के इस दावे और विश्वास के पीछे आखिर वजह क्या है.

दरअसल, इस बार MCD चुनाव में मेयर यानी महापौर की कुर्सी सबसे अहम मानी जाती हैं. क्योंकि इन चुनावों में मेयर बीते 15 सालों के मुकाबले अधिक पावरफुल होकर उभरेगा. अभीतक MCD तीन हिस्सों में बंटी हुई थी और तीन ही मेयर चुने जाते थे. इसलिए अभी तक मेयर की ताकत भी तीन हिस्सों में बंटी हुई थी. लेकिन इस बार MCD में एक ही मेयर होगा और तीन मेयर की पॉवर एक मेयर के पास होगी. इसलिए जिस भी पार्टी का मेयर होगा, उसी का सिक्का चलेगा.

केंद्र सरकार के हाथ मेयर का चुनाव

एमसीडी नियमानुसार, मेयर का चुनाव 1 अप्रैल के शुरूआत में हो जाना चाहिए. दिल्ली MCD में मेयर की अवधि 1 वर्ष की होती हैं. इसलिए मेयर का चुनाव अप्रैल महीने में हो जाना चाहिए. MCD की पहली बैठक में मेयर के चुनाव के लिए सभी दल मैदान में अपना प्रत्याशी खड़ा करते हैं और सभी निगम पार्षद वोट करते हैं. लेकिन इस बार चुनाव दिसंबर माह में होने की वजह से मेयर चुनने का अधिकार स्वत: ही केंद्र सरकार के पास चला जाता है. ऐसे में मेयर के चुनाव में केंद्र सरकार की अहम भूमिका होगी.  नियमों के मुताबिक दिल्ली नगर निगम के कमिश्नर चीफ सेकरेट्री के जरिए उपराज्यपाल को बैठक आहूत करने और मेयर के चुनाव के लिए प्रिसाइडिंग ऑफिसर नियुक्त करने को लिखेंगे. ये भी बताया जा रहा है कि परंपरा के मुताबिक उप राज्यपाल गृहमंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद इसकी स्वीकृति देंगे.

राज्य सभा और लोक सभा सदस्य भी मतदाता हैं

महापौर के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य भी वोट करते हैं. इस तरह देखे तो 7 लोक सभा सदस्यों के वोट भी बीजेपी के निगम पार्षदों की संख्या में जुड़ जाएंगे. यानी पार्टी के जितने भी पार्षद जीतेंगे उसमें ये सात की संख्या मेयर के चुनाव के लिहाज से बढ़ जाएगी.

इस एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच जीत का अंतर ज्यादा बड़ा नहीं रहा. इसलिए दोनों ही पार्टी, बीजेपी और आप, अपने-अपने मेयर को जीतने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.

बीजेपी पूर्व सांसद मनोज तिवारी दावा कर रहे हैं कि अगर MCD में मेयर होगा तो सिर्फ बीजेपी का ही होगा. सूत्रों के मुताबिक कहना है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता उन निगम पार्षदों की तलाश में हैं जो दल बदल सकते हैं.

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