Employee exploitation: क्या कभी किसी ने सोचा है कि, एक ऑफिस के अन्दर इंसानों को जानवरों से भी बदतर हालात में ज़लील किया जाएगा? केरल से आई ये घटना आपको झकझोर कर रख देगी। एक कंपनी, जो बीते 20 सालों से कलूर में काम कर रही है, उसने अपने एम्प्लोयी के साथ जो सलूक किया, वो किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं।

Employee exploitation

“टारगेट नहीं पूरा किया? तो गले में पट्टा पहन लो!”

हाँ, आपने बिल्कुल सही सुना। इस कंपनी के द्वारा कर्मचारीयों को दिया गया सेल्स टारगेट यदि पूरा नहीं हो पाता, तो उसे ऐसी क्रूर सजा दी जाती है जिसे देखकर आपकी रूह कांप जाएगी।

सेल्स टारगेट पूरा नहीं करने पर ऑफिस कर्मचारियों को कुत्तों की तरह गले में बेल्ट पहनाकर पुरे ऑफिस में घुमाया जाता है। ज़मीन पर गिरा सड़ा हुआ फल चाटने पर मजबूर किया जाता है। पानी भी जानवरों की तरह ज़मीन पर झुक कर पीने को कहा जाता है।

इंसान नहीं, खिलौने बनाकर रखा जाता है…

इस कंपनी के मार्केटिंग कर्मचारी, जो लोगो के घर-घर जाकर प्रोडक्ट बेचते हैं, यदि उनके द्वारा टारगेट पूरा नहीं किया जाता है तो उन्हें ऐसी घिनौनी सजाएं दी जाती हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।

Source: NBT
  • किसी और के चबाए हुए फल को उठाकर थूकना।
  • सिक्के फर्श पर गिराकर उन्हें जीभ से चाटना।
  • पैंट उतारकर एक-दूसरे के गुप्तांग को छूने जैसी घृणित हरकतें करवाना।

और ये सब कुछ एक कैमरे में कैद हुआ है। और वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, इस घिनोनी विडियो को पूरा देश हिल गया।

डर और धमकी से भरी नौकरी

जब इस घटना के बारें में कर्मचारियों से सवाल पूछा गया तो ज़्यादातर ने चुप्पी साध ली। जो बोलता है, उसे धमकाया जाता है। 6,000 से 8,000 रुपये की मामूली तनख्वाह, और वादे – “बस एक टारगेट पूरा कर लो, प्रमोशन पक्का है।” लेकिन हकीकत देखी जाए तो कर्मचारिओं को सिर्फ अपमान और दर्द मिलता है।

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“सरकार ने लिया एक्शन”

वीडियो सामने आते ही, केरल के श्रम मंत्री वी. शिवनकुट्टी ने इस मामले में तत्काल जांच के आदेश दे दिए हैं। एर्नाकुलम के श्रम अधिकारी को पूरी रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। मंत्री का कहना है कि:

“यह घटना बेहद शर्मनाक है, इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए।”

“हम कब तक खामोश रहेंगे?”

ये घटना सिर्फ एक कंपनी की नहीं है। ये मामला सवाल उठाता है कि क्या हमारे देश में अब इंसानियत से ज्यादा सेल्स टारगेट की अहमियत है? क्या आज के समय में नौकरी करने की मजबूरी इतनी हो चुकी है कि इंसान खुद को जानवर समझने लगे


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