Manipur Political Crisis: मणिपुर राजनीति में एक बार फिर हलचल दिखने लगी है। लंबे समय से अशांति और राष्ट्रपति शासन झेल रहे मणिपुर राज्य के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है। भाजपा विधायक टी. रोबिन्द्रो सिंह ने शनिवार को दावा किया कि मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति अब बेहतर हो रही है और जल्द ही राज्य को एक नई सरकार मिल सकती है।

Manipur Political Crisis

मणिपुर में लंबे समय से संकट की स्थिति

मणिपुर, जो अपनी विविध जातीयता और सांस्कृतिक पहचान के लिए जाना जाता है, वहीँ ये राज्य साल 2023 से जातीय हिंसा की चपेट में है। इस हिंसा की जड़ में थी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मांग। मणिपुर हाईकोर्ट के इस पर निर्णय के बाद राज्य में असंतोष की लहर दौड़ गई और कुकी समुदाय समेत अन्य पहाड़ी जनजातियों में आक्रोश फैल गया।

आदिवासी एकजुटता मार्च‘ के नाम से कुकी बहुल क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच हिंसक झड़पें भड़क उठीं। इस लड़ाई में अब तक 260 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं, हजारों लोग बेघर हो गए और दर्जनों गांव पूरी तरह तबाह हो चुके हैं।

राजनीतिक अस्थिरता और मुख्यमंत्री का इस्तीफा

इस हिंसा और तनाव के बीच मणिपुर राज्य की एन. बीरेन सिंह सरकार पर हालात को काबू न कर पाने को लेकर आरोप लगे। राजनीतिक दबाव और मणिपुर में बढ़ते असंतोष के चलते उन्होंने 9 फरवरी 2025 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके ठीक चार दिन बाद, 13 फरवरी 2025 को केंद्र सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया, और मणिपुर विधानसभा को निलंबित कर दिया गया, जबकि उसका कार्यकाल 2027 तक है।

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अब लौट रही है उम्मीद: BJP विधायक का दावा

अब लगभग दो महीने बाद, भाजपा के विधायक टी. रोबिन्द्रो ने एक नई उम्मीद सामने रखी है। उन्होंने दावा किया कि राज्य में अब हालात सामान्य हो रहे हैं, और यह समय है जब नई सरकार का गठन किया जाना चाहिए।

विधायक रोबिन्द्रो ने कहा:

“हम देख रहे हैं कि मैतेई और कुकी दोनों समुदायों में बातचीत शुरू हो गई है। कानून-व्यवस्था में पहले से काफी सुधार है। जल्द ही केंद्र सरकार को इस दिशा में बड़ा कदम उठाना चाहिए।”

उन्होंने यह भी बताया कि मैतेई और कुकी विधायकों के बीच बातचीत की योजना है, जो राज्य में स्थाई शांति की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

नेतृत्व को लेकर भाजपा में कोई मतभेद नहीं

टी. रोबिन्द्रो ने स्पष्ट किया कि भाजपा विधायकों के बीच कोई नेतृत्व संघर्ष नहीं है और वे सभी एकमत हैं। उन्होंने दो टूक कहा:

“हम सब एकजुट हैं। हमें अपने नेता को चुनने में कोई असहमति नहीं है। हम मणिपुर को किसी भी हालत में बांटने नहीं देंगे और राज्य की एकता के लिए खड़े रहेंगे।”

शांति की राह में सबसे बड़ी चुनौती: विश्वास बहाली

कुछ विशेषज्ञ दावा हैं कि मणिपुर की वर्तमान स्थिति में सबसे बड़ी चुनौती है — सामाजिक विश्वास बहाल करना। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच गहरी खाई बन चुकी है, जिसे भरना अब आसान नहीं होगा। हालांकि, अगर राजनीतिक नेतृत्व में स्थिरता आती है और दोनों समुदायों के बीच संवाद सफल होता है, तो राज्य एक बार फिर सामान्य स्थिति की ओर लौट सकता है।

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आगे क्या हो सकता है?

भविष्य की राह पूरी तरह राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामाजिक सहयोग पर ही निर्भर करेगी। यदि केंद्र सरकार मणिपुर में नई सरकार बनाने की अनुमति देती है, और शांति वार्ताएं सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ती हैं, तो मणिपुर में लोकतंत्र की वापसी संभव है।


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