ट्रंप के टैरिफ वॉर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया भर के अधिकतर देशों पर टैरिफ की जंग छेड़ दी है। भारत भी इसकी चपेट में आया है, लेकिन क्या ये भारत के लिए एक बड़ा मौका बन सकता है? जी हां! कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत कुछ सेक्टर्स में इस ट्रेड वॉर का लाभ उठाकर ग्लोबल मार्केट में अपनी पकड़ को मजबूत कर सकता है। आइए जानते हैं कि किन सेक्टर्स को डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए इस तैरिफ क्या सबसे ज्यादा लाभ मिल सकता है और कैसे भारत इस चुनौती को मौके में बदल सकता है।

ट्रंप के टैरिफ वॉर

1. फार्मा सेक्टर: भारत की ‘दवा’ अमेरिका पर भारी

ट्रंप ने भारतीय फार्मास्यूटिकल्स को टैरिफ से छूट दी है, जो एक बड़ी राहत है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा दवा निर्यात बाजार है, और यह छूट हमारे फार्मा उद्योग के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है। “यह निर्णय भारत को ‘विश्व की फार्मेसी’ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है,” – एक उद्योग विशेषज्ञ ने बताया।

2. टेक्सटाइल: ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा

चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों पर भारी टैरिफ लगने से भारतीय कपड़ा उद्योग को एक बड़ा फायदा हो सकता है। अमेरिका देश पहले से ही भारतीय टेक्सटाइल का सबसे बड़ा खरीदार है, और अब यहां से आयात बढ़ने की संभावना है। “यह भारतीय हथकरघा और फैशन इंडस्ट्री के लिए स्वर्णिम अवसर है,” – एक टेक्सटाइल एक्सपर्ट ने कहा।

3. इलेक्ट्रॉनिक्स: चीन और वियतनाम से बेहतर स्थिति

चीन (54% टैरिफ) और वियतनाम (46% टैरिफ) की तुलना में भारत पर सिर्फ 26% टैरिफ लगा है। इससे भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स को फायदा हो सकता है, खासकर मोबाइल और सेमीकंडक्टर सेक्टर में। “PLI स्कीम और ‘मेक इन इंडिया’ का असर अब दिखेगा,” – इंडस्ट्री लीडर्स का मानना है।

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4. कृषि निर्यात: समुद्री उत्पाद और चावल को बढ़ावा

अमेरिका को भारतीय कृषि निर्यात (खासकर झींगा और बासमती चावल) पर टैरिफ का असर कम होगा, क्योंकि थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे प्रतिस्पर्धियों पर ज्यादा टैक्स लगा है। “भारत के किसानों और एक्सपोर्टर्स के लिए यह मौका सुनहरा साबित हो सकता है,” – कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने कहा।

5. स्टील और ऑटो सेक्टर: पहले से ही सुरक्षित

ट्रंप ने स्टील और ऑटो पार्ट्स पर नए टैरिफ नहीं लगाए हैं, जिससे भारतीय उद्योगों को राहत मिली है। हालांकि, ग्लोबल डंपिंग का खतरा बना हुआ है।

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क्या है चुनौती?

  • इंजीनियरिंग गुड्स और जेम्स & ज्वैलरी सेक्टर को नुकसान हो सकता है।
  • भारत को अमेरिका के साथ ट्रेड डील पर फिर से बातचीत करनी होगी।

निष्कर्ष: भारत के लिए ‘सिल्वर लाइनिंग’

विश्लेषकों का मानना है कि भारत इस टैरिफ वॉर को अपने फायदे में बदल सकता है, बशर्ते सरकार और उद्योग मिलकर सही रणनीति बनाएं। “यह भारत के लिए आत्मनिर्भर बनने और ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी जगह मजबूत करने का सही समय है,” – एक ट्रेड एक्सपर्ट ने कहा।


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